भागलपुर दंगा मामले में सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार
नीतीश कुमार ने वर्ष 2006 में भागलपुर दंगा से जुड़े मामलों को फिर से खोलने की बात कही थी। कामेश्वर को 6 नवंबर, 2009 को दोषी ठहराया गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र: सुप्रीम कोर्ट भागलपुर दंगा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करने को तैयार हो गया है। पटना हाई कोर्ट ने इस साल जून में किशोर की हत्या में दोषी करार कामेश्वर प्रसाद यादव को आरोप मुक्त कर दिया था। बिहार सरकर ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। भागलपुर दंगे (1989) में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
नीतीश कुमार ने वर्ष 2006 में भागलपुर दंगा से जुड़े मामलों को फिर से खोलने की बात कही थी। कामेश्वर को 6 नवंबर, 2009 को दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। राज्य सरकार की ओर से दाखिल याचिका में मामले को जल्द से जल्द निपटाने का आग्रह किया गया है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने अर्जी को स्वीकार कर लिया। बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और शोएब आलम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि एफआइआर में देरी के आधार पर आरोपी को बरी करने का हाई कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण है। सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों में आमतौर पर एफआइआर दर्ज होने में वक्त लगता है, क्योंकि लोग सामने आने से डरते हैं। पुलिस ने हत्या की घटना के तीन महीने बाद केस दर्ज किया था।
शोएब आलम ने बताया कि पीडि़त मुहम्मद कयामुद्दीन के पिता और भाई अपराध के प्रत्यक्षदर्शी थे। उनके बयानों को झुठलाया नहीं जा सकता है, क्योंकि उनके बयानों की पुष्टि स्वतंत्र गवाहों से भी हुई है। कामेश्वर यादव को पहली बार वर्ष 2007 में गिरफ्तार किया गया था।