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पेंशन निकालने के लिए आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

सरकार ने कहा कि डेटा सेंटर (सीआईडीआर) के इन्फ्रास्ट्रक्चर के बारे में 4 मिनट का वीडियो है जिससे उसकी सुरक्षा के बारे में पता चलता है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 10:39 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 10:39 PM (IST)
पेंशन निकालने के लिए आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
पेंशन निकालने के लिए आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकारी कर्मचारियों को पेंशन निकालने में आधार जरूरी किये जाने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया। उधर दूसरी ओर आधार के लिए एकत्र किये गए बायोमेट्रिक डाटा की सुरक्षा के बारे में सरकार ने कहा कि डाटा सेंटर 5 फिट चौड़ी और 13 फिट ऊंची दीवार से घिरा है। उसकी सुरक्षा में संदेह की गुंजाइश नहीं है। सरकार ने कहा कि डेटा सेंटर (सीआईडीआर) के इन्फ्रास्ट्रक्चर के बारे में 4 मिनट का वीडियो है जिससे उसकी सुरक्षा के बारे में पता चलता है। इसके अलावा सरकार ने आधार की सुरक्षा और अन्य तकनीकी पहलुओं पर कोर्ट की जिज्ञासाओं का जवाब देने के लिए यूआईडीएआई के सीईओ को पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन देने की इजाजत भी मांगी। मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।

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सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आधार की वैधानिकता पर बहस सुन रही है। बुधवार को सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पक्ष रखना शुरू किया। वेणुगोपाल जब भ्रष्टाचार और संसाधनों का लीकेज रोकने के लिए आधार लागू करने को सही ठहरा रहे थे तभी पीठ ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन निकालने के लिए आधार जरूरी किये जाने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि वे सरकार के ही पूर्व कर्मचारी हैं उनकी पहचान के बारे में कोई संदेह नहीं है। इसमें फर्जी पहचान का क्या मतलब है। वे सरकार के कर्मचारी हैं। पेंशन किसी व्यक्ति की अपनी कमाई है। आधार न होने पर उसे पेंशन से कैसे वंचित किया जा सकता है। क्या ये सरकारी पैसे की चोरी का मामला नहीं है। इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि संशोधन लगातार की प्रक्रिया है और इस तरह की समस्याओँ का भी संशोधन से हल निकाला जाएगा।

अटार्नी जनरल ने आधार की तरफदारी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि 1 रुपये में 15 पैसे ही गरीबों तक पहुंचते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि आधार से सरकार ने फर्जी पैन कार्ड, राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड आदि पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा कि जीवन के दो मुख्य अधिकार हैं। भोजन का अधिकार और निजता का अधिकार। सवाल है कि प्राथमिकता किसे दी जाए। उन्होंने कहा कि मेरी राय में भोजन के अधिकार को निजता के अधिकार पर वरीयता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आधार से सरकारी योजनाओं का लाभ उसके असली हकदार तक पहुंच रहा है। पहले बिचौलिये हजारों करोड़ रुपये खा जाते थे। कुछ लोग निजता के अधिकार की दलील दे रहें हैं लेकिन कोर्ट को देखना चाहिए कि आधार करोड़ों लोगों को सम्मान से जीवन जीने का अधिकार दे रहा है।

अटार्नी जनरल ने आधार से जुड़े तकनीकी पहलुओं को समझाने के लिए कोर्ट से यूआइडीएआई के सीईओ को पेश होकर पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन देने की इजाजत मांगी। हालांकि कोर्ट ने इस बारे अभी कोई आदेश जारी नहीं किया और कहा कि वे इस पर बाद में विचार करेंगे।


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