सिविल केस में पुलिस और क्रिमिनल कोर्ट बरतें सतर्कता, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीवानी विवादों में पुलिस चार्जशीट और क्रिमिनल कोर्ट आरोप तय करने में सतर्कता बरतें। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए ...और पढ़ें

सिविल केस में पुलिस और क्रिमिनल कोर्ट बरतें सतर्कता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दो पक्षों के बीच दीवानी विवादों में पुलिस चार्जशीट फाइल करने और क्रिमिनल कोर्ट आरोप तय करने में अतिरिक्त सतर्कता बरतें।
कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को रद करते हुए न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि कानून के शासन से संचालित समाज में आरोपपत्र दाखिल करने का निर्णय जांच अधिकारी के इस निर्धारण पर आधारित होना चाहिए कि एकत्र किए गए साक्ष्य दोषसिद्धि की उचित संभावना प्रदान करते हैं या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट: दीवानी मामलों में सतर्कता बरतें
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जहां भी दो पक्षों के बीच सिविल विवाद हो, पुलिस और आपराधिक अदालतों को सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। पीठ ने कहा कि पुलिस और आपराधिक अदालतों को प्रारंभिक फिल्टर के रूप में काम करना चाहिए ताकि केवल प्रबल संदेह वाले मामले ही औपचारिक सुनवाई के चरण में आगे बढ़ें, जिससे न्यायिक प्रणाली की दक्षता और निष्ठा कायम रहे।
कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया गया
पीठ ने कहा कि जिन मामलों में कोई ठोस संदेह नहीं बनता, उनमें आरोपपत्र दाखिल करने की प्रवृत्ति न्यायिक प्रणाली को अवरुद्ध करती है। इससे न्यायाधीशों, अदालती कर्मचारियों और अभियोजकों को ऐसे मुकदमों में समय बर्बाद करना पड़ता है जिनमें बरी होने की संभावना होती है।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने एक आरोपित को गलत तरीके से रोकने, ताक-झांक और आपराधिक धमकी के एक मामले में राहत देने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संपत्ति के संबंध में एक सिविल विवाद लंबित था और साथ ही पहले से निषेधाज्ञा आदेश भी मौजूद था।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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