सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश, खनन के बाद जमीन को फिर से हरा भरा करने की लगाई जाए शर्त
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में कोई कारण नजर नहीं आता कि खनन क्षेत्र को क्यों न दोबारा हरा भरा किया जाए। खनन क्षेत्र में घास लगाई जाए पेड़ और अन्य वनस्पतियां उगाई जाएं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने खनन के बाद बंजर और खराब हुई जमीन तथा खत्म होते जानवरों के चारे की समस्या को देखते हुए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह खनन पट्टा जारी करते समय और पर्यावरण मंजूरी देते समय यह शर्त लगाए कि खनन कार्य पूरा होने के बाद जमीन को पूर्व स्थिति में हरा भरा बनाया जाएगा।
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इस शर्त का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित तरीका अपनाए जिसमें खनन गतिविधि पूरी होने के बाद खनन पट्टा रखने वाली कंपनी के खर्च पर यह काम किया जाए। कोर्ट ने सरकार से इस पर तीन सप्ताह में कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है।
16 जनवरी के आदेश का किया जिक्र
ये आदेश बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने खनन मामले में सुनवाई के दौरान दिये। कोर्ट ने इस बारे में अपने गत वर्ष 16 जनवरी के आदेश का जिक्र किया जिसमें खनन के बाद जमीन खराब हो जाने और वनस्पति विहीन हो जाने की बात कही गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह देखा गया है कि खनन के बाद पूरा क्षेत्र पूरी तरह घास और हरियाली विहीन हो जाता है इससे जानवरों को चारे की कमी हो जाती है।
कोर्ट ने कहा कि अब इसमें कोई विवाद नहीं है कि जमीन को दोबारा हरा भरा करने की तकनीक (रिग्रासिंग टेक्नलाजी) मौजूद है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में कोई कारण नजर नहीं आता कि खनन क्षेत्र को क्यों न दोबारा हरा भरा किया जाए। खनन क्षेत्र में घास लगाई जाए, पेड़ और अन्य वनस्पतियां उगाई जाएं ताकि जानवरों को उससे लाभ हो। कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार को निर्देश देकर और खनन पट्टे के साथ इस शर्त को जोड़ कर यह उद्देश्य प्राप्त किया जा सकता है।
खनन क्षेत्र में उगाई जाए घास
कोर्ट ने केन्द्र निर्देश दिया है कि वह खनन पट्टा देते समय और पर्यावरण मंजूरी देते समय एक शर्त यह भी जोड़े कि खनन गतिविधि पूरी होने के बाद पट्टा धारक खनन क्षेत्र और खनन गतिविधि से खराब होने वाले बाकी क्षेत्र को पुन: हराभरा करेगा। जमीन को पुन: वापस उसी स्थिति में लाएगा जिससे कि वहां पेड़ पौधे और घास उगाई जा सके।
कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार इस शर्त के अनुपालन के लिए उचित तरीका अपना सकती है जिसमें यह काम खनन पट्टा धारक के खर्चे पर पूरा किया जाए। कोर्ट ने आदेश में साफ किया है कि खनन पट्टे के साथ लगाई गई यह शर्त पट्टे की अन्य शर्तो कें अलावा होगी। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को इस बारे में तीन सप्ताह मे इस बारे में की गई कार्यवाही पर रिपोर्ट देने को कहा है।