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मॉब लिंचिंगः सुप्रीम कोर्ट ने की राज्यों की खिंचाई, रिपोर्ट पेश करने को दिया एक हफ्ते का वक्त

इतना ही नहीं कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने एक सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट नहीं दाखिल की तो कोर्ट उनके गृह सचिवों को तलब कर लेगा।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 12:30 AM (IST)
मॉब लिंचिंगः सुप्रीम कोर्ट ने की राज्यों की खिंचाई, रिपोर्ट पेश करने को दिया एक हफ्ते का वक्त
मॉब लिंचिंगः सुप्रीम कोर्ट ने की राज्यों की खिंचाई, रिपोर्ट पेश करने को दिया एक हफ्ते का वक्त

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिग रोकने के मामले में ज्यादातर राज्यों की सुस्ती पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने सभी राज्यों को एक हफ्ते में कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने एक सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट नहीं दाखिल की तो कोर्ट उनके गृह सचिवों को तलब कर लेगा।

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शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण की पीठ का रुख सख्त था। गोरक्षक दलों व उन्मादी भीड़ की हिंसा को रोकने के मामले मे कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकारों को गत 17 जुलाई को विस्तृत आदेश जारी किये थे। कोर्ट ने राज्यों से आदेश पर अमल करके कोर्ट मे अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा था।

अब तक सिर्फ 11 राज्यों ने दाखिल की रिपोर्ट
शुक्रवार को कोर्ट इस बात पर नाराज हुआ कि 29 राज्यों और 7 केन्द्र शासित प्रदेशों मे से सिर्फ 11 राज्यों ने कोर्ट में आदेश की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की है। पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एक हफ्ते में कोर्ट के दिशा-निर्देश लागू कर अनुपालन रिपोर्ट नहीं देते हैं तो संबंधित राज्यों के गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा। इस बीच केन्द्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक मॉब लिंचिंग के बारे में कानून बनाने पर विचार करने के लिए अधिकार प्राप्त मंत्रीसमूह (ईजीओएम) गठित किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 जुलाई को कहा था कि भीड़तंत्र को कानून की अनदेखी कर भयानक कृत्य करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हालात की गंभीरता को देखते हुए तत्काल ठोस कार्रवाई की जरूरत है। कोर्ट ने संसद से भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डालने को अलग से अपराध बनाए जाने और उचित दंड निर्धारित करने पर विचार करने को कहा था। कोर्ट ने ऐसी हिंसा रोकने के लिए निरोधात्मक, सुधारात्मक और दंडात्मक उपाय के विस्तृत आदेश जारी किये थे।

कोर्ट ने केन्द्र और राज्यों को आदेश पर चार सप्ताह मे अमल करके कोर्ट मे अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने आदेश कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए थे। पूनावाला ने कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बावजूद 20 जुलाई को रहबर खान की हत्या होने के मामले को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी दाखिल कर रखी है।

कोर्ट ने ये दिए थे दिशा निर्देश
-हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त हो और स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाएं
-पिछले पांच सालों में हुई भीड़ हिंसा के मामले को चिन्हित किया जाएं
-भीड़ हिंसा से ग्रस्त थानाध्यक्षों को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश
-नोडल अधिकारी इंटेलीजेंस यूनिट और थानाध्यक्षों के साथ नियमित मीटिंग का निर्देश
-मीडिया पर भड़काऊ सामग्री के प्रचार-प्रसार पर रोक का निर्देश


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