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सुप्रीम कोर्ट ने केरल लव जिहाद मामले में NIA को दिया जांच के आदेश

केरल के लव जिहाद मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इंवेस्‍टीगेशन एजेंसी को सौंप दी है।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 16 Aug 2017 01:07 PM (IST)Updated: Wed, 16 Aug 2017 01:54 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने केरल लव जिहाद मामले में NIA को दिया जांच के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने केरल लव जिहाद मामले में NIA को दिया जांच के आदेश

दिल्ली (प्रेट्र)। केरल में कथित लव जिहाद के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और एनआईए से जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि एक बालिग महिला ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन और शादी कर ली है, तो उसे अपने पति से अलग कैसे किया जा सकता है।

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एनआईए इस बात की जांच कर रही है कि क्या महिला के तार अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन से जुड़े हैं। इसके अलावा कोर्ट ने लड़की के पिता से भी जवाब मांगा है, क्योंकि वो महिला फिलहाल अपने पिता के साथ किसी अज्ञात जगह पर रह ही है। कोर्ट ने सभी पक्षों से 16 अगस्त तक मामले की अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

रिटायर्ड जज आरवी रवींद्रन की देखरेख में ये जांच होगी, क्योंकि घटना के पीछे चरमपंथी हाथ होने की बात कही जा रही है। इससे पहले कोर्ट ने केरल पुलिस को आदेश दिए थे कि वो इस केस से जुड़ी सभी जानकारी एनआईए को सौंप दे। इससे पहले कोर्ट ने पुलिस को मामले की सख्त जांच के लिए कहा था। बता दें कि ये मामला केरल का है, जिसमें हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर शादी करने का आरोप है।

केरल हाईकोर्ट इस शादी को रद्द कर चुका है, जहां इसे 'लव जेहाद' का मामला बताया था। वहीं, शादी रद्द किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुस्लिम पति का कहना है कि उसकी पत्नी(पूर्व) बालिग है और किसी से भी शादी करने के साथ ही किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को जांच करने का आदेश दिया है। और कहा कि वो 10 दिनों के अंदर जरूरी सबूत पेश करे। सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के पिता को भी आदेश दिया है कि वो 10 दिनों के भीतर ऐसे कागजात प्रस्तुत करे, जिसमें लड़की को बहला-फुसलाकर शादी कराई गई है। 

इस मामले को केरल हाईकोर्ट ने लव जिहाद का मामला बताते हुए शादी को रद घोषित कर दिया था और महिला को उसके पिता के पास भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट में युवक ने अपने वकील कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह के जरिए अपील की कि उसकी पत्नी(पूर्व) बालिग है और किसी भी धर्म को मानने के साथ ही किसी भी व्यक्ति से शादी करने को स्वतंत्र है। इसके बाद दोनों वकीलों ने दलील दी कि केरल हाई कोर्ट ने शादी रद्द करने का आदेश दिया और पति को पत्नी से मुलाकात करने तक पर रोक लगा दी है। इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट जांच कराए। उन्होंने लड़की के बयान दर्ज कराने की भी मांग की की।

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