आइटी कानून संबंधी कोर्ट का आदेश ढंग से लागू ही नहीं हुआ - NGO
एक गैरसरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) कानून की धारा 66ए को रद किए जाने के संबंध में वर्ष 2015 में दिए गए कोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने में केंद्र द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। एक गैरसरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) कानून की धारा 66ए को रद किए जाने के संबंध में वर्ष 2015 में दिए गए कोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने में केंद्र द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर इस प्रविधान के तहत लोगों की गिरफ्तारी की जा रही
उसने साथ ही कहा कि अभी तक इंटरनेट मीडिया पर साझा की गई आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर इस प्रविधान के तहत लोगों की गिरफ्तारी की जा रही है।गत पांच जुलाई को जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस के एमजोसेफ और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की ओर से दायर आवेदन पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।
अपमानजक संदेश पोस्ट करने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माने का था प्रविधान
पीठ ने पीयूसीएल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारीख से कहा था कि क्या आपको नहीं लगता कि यह आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला है? श्रेया सिंघल फैसला 2015 का है। यह वाकई चौंकाने वाला है। जो हो रहा है, वह भयानक है। कानून की उस धारा के तहत अपमानजक संदेश पोस्ट करने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माना का प्रविधान था।
इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं
एनजीओ ने अदालत में दाखिल अपने प्रत्युत्तर हलफनामे में कहा कि श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ मामले में इस अदालत के फैसले के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
केंद्र ने हिदायत देकर मामला दर्ज करने को कहा था
उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट से पांच जुलाई को नोटिस जारी होने के बाद केंद्र ने 15 जुलाई को राज्यों को हिदायत देकर धारा 66ए के तहत मामले दर्ज न करने को कहा था।