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SC On Kolkata Case: मृतक का परिवार सोशल मीडिया से परेशान, CJI ने केंद्र को दिया ये आदेश

Supreme Court On Kolkata Doctor Case कोलकाता रेप और हत्याकांड मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पीड़िता के परिवार द्वारा सोशल मीडिया में उसकी पहचान और मौजूद तस्वीर की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह एक नोडल अधिकारी तय करें जिनके पास लोग इस तरह के पोस्ट की शिकायत कर सकें। वह अधिकारी ऐसे पोस्ट को हटवाने के लिए कदम उठाएं।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Mon, 30 Sep 2024 08:54 PM (IST)
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कोलकाता कांड पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। (File Photo)

पीटीआई, नई दिल्ली। कोलकाता आर जी कर अस्पताल दुष्कर्म-हत्या मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी प्लेटफॉर्म के मध्यस्थ को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है।

सोशल मीडिया से परेशान

सुनवाई शुरू होते ही अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि मृतक पीड़िता के माता-पिता सोशल मीडिया पर उसके नाम और फोटो का खुलासा करने वाले बार-बार क्लिप से परेशान हैं।

आदेश को किया स्पष्ट

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित कर दिया है और आदेश को लागू करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों का काम है। कोर्ट ने अपने पहले दिए गए आदेश को स्पष्ट किया और कहा कि यह सभी मध्यस्थों पर लागू होता है। सीजेआई की पीठ ने कहा कि कथित बलात्कार-हत्या और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जांच में पर्याप्त सुराग मिले हैं। 

ममता सरकार से मांगी थी रिपोर्ट

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को कहा था कि कोई भी खुलासा चल रही जांच को खतरे में डाल सकता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नौ सितंबर को जूनियर डॉक्टर के शव को पोस्टमार्टम से जुड़े 'चालान; का रिकॉर्ड से गायब होने पर चिंता व्यक्त की थी और पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 22 अगस्त को महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई थी।

क्या है कोलकाता डॉक्टर कांड?

बता दें कि 9 अगस्त को गंभीर चोट के निशान के साथ महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। अगले दिन मामले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस ने कर्मचारी को गिरफ्तार किया था। 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोलकाता पुलिस से जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया और 14 अगस्त को सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की थी।

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