Move to Jagran APP

मुकदमें से पहले मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया अनिवार्य बनाने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने के लिए सुनवाई से पहले मध्यस्थता प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:07 PM (IST)
मुकदमें से पहले मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया अनिवार्य बनाने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
अदालतों में मुकदमों की संख्या कम करने के लिए SOP बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने के लिए सुनवाई से पहले मध्यस्थता प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure, SOP) तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्‍वीकार करते हुए इस पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

loksabha election banner

मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे (SA Bobde), जस्टिस एएस बोपन्ना (AS Bopanna) और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन (V Ramasubramanian) की पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। सर्वोच्‍च न्यायालय (Supreme Court) ने अपने आदेश में कहा है कि याचिका पर विधि एवं न्याय मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) एवं सभी हाईकोर्टों को नोटिस जारी किए जाएं। यही नहीं इन सभी से चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है।

यह याचिका यूथ बार एसोसिएशन और अधिवक्ता सनप्रीत सिंह अजमानी की ओर से दाखिल की गई है। इस याचिका में सुझाव दिया गया है कि विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने के लिए सुनवाई शुरू होने से पहले मध्यस्थता प्रक्रिया अपनाया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। याचिका में दलील दी गई है कि विवाद समाधान के वैकल्पिक तरीकों को अपनाने से मामलों की बढ़ती संख्‍या पर अंकुश लगेगा।

याचिका में तर्क दिया गया है कि मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने से पहले संबंधित पक्षों को विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता का अनिवार्य तरीका अपनाने से लोगों को सुलह करने का अवसर मिलेगा। मुकदमा दाखिल करने या इसके लिए नोटिस देने से पहले किसी तीसरे तटस्थ की मध्यस्थता से किसी भी विवाद को सुलझाने का मौका भी मिलेगा जिससे मामलों की संख्‍या में कमी आएगी।

याचिका में कहा गया है कि आपसी सहमति से सुलझाने का मौका देकर छोटे-मोटे मामलों को अदालत पहुंचने से रोकने में मदद मिलेगी। इससे दोनों पक्षों को न सिर्फ इस तरह अपना विवाद सुलझाने का मौका मिलेगा जिसमें कोई हारा हुआ महसूस न करे, बल्कि मामला भी जल्द सुलझेगा और मुकदमेबाजी की अपेक्षा इस प्रक्रिया में खर्च भी कम आएगा। लिहाजा, न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए सरकार को मुकदमे से पूर्व मध्यस्थता की प्रक्रिया का तंत्र बनाने पर काम करना चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.