गोवर्धन कुंड मामलाः जस्टिस ललित ने स्वयं को सुनवाई से अलग किया
मथुरा के गोबर्धन में कुंडों के पुनरुद्धार मामले की सुनवाई से जस्टिस यूयू ललित ने स्वयं को अलग कर लिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मथुरा के गोबर्धन में कुंडों के पुनरुद्धार मामले की सुनवाई से जस्टिस यूयू ललित ने स्वयं को अलग कर लिया है। जस्टिस ललित ने शुक्रवार को बृज फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए कहा कि न्यायाधीश बनने से पहले उन्होंने इस मामले से जुड़े एक पक्षकार को वकील के तौर पर राय दी थी।
बृज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश को चुनौती दी है। एनजीटी ने बृज फाउंडेशन की तीन कुंडों संकर्षण कुंड, रुद्र कुंड और ऋणमोचन कुंड के जीर्णोद्धार का काम चालू रखने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया था। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने कुंडों के पुनरुद्धार में किये गए निर्माण को भी तोड़ने का आदेश दिया था और उस जगह गऊ घाट बनाने को कहा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई गत एक जून को फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी और मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।
शुक्रवार को मामला जस्टिस यूयू ललित और दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा था। लेकिन जस्टिस ललित ने मामले पर सुनवाई से इन्कार करते हुए स्वयं को अलग कर लिया। अब ये मामला जुलाई में किसी अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगेगा। गैर सरकारी संगठन बृज फाउंडेशन ने याचिका में कहा है कि एनजीटी के आदेश के कारण उनके द्वारा कराया गया कुंडों का जीर्णोद्धार निर्माण तोड़ दिया जाएगा। संगठन की दलील है कि जनहित में दिया गया आदेश जनहित के खिलाफ नहीं हो सकता।