मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व दस राज्यों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
मॉब लिंचिंग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दस राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ के पीट पीट कर मार डालने (Mob Lynching) की बढ़ती घटनाओं को रोकने और कोर्ट के गत वर्ष के Mob Lynching रोकने के आदेश को कड़ाई से लागू करने की मांग पर केन्द्र सरकार, मानवाधिकार आयोग व 11 राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व दीपक गुप्ता की पीठ ने ये नोटिस गैर सरकारी संगठन एंटी करेप्शन काउंसिल आफ इंडिया ट्रस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किये। कोर्ट ने जिन राज्यों को नोटिस जारी किया है उनके नाम उत्तर प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, आंध्र प्रदेश,गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, मध्य प्रदेश और दिल्ली हैं।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने देश में Mob Lynching की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने पिछले वर्ष तहसीन पूनावाला के मामले में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए विस्तृत आदेश दिये थे।
इसके बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। याचिका में मांग की गई है कि राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वह Mob Lynching की घटनाओं और उन पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट दें। साथ ही यह भी बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश लागू करने के लिए क्या किया गया।
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट संसद से कहे कि वह माब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए इस अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाए साथ ही अपराध समझौते से खतम होने वाला नहीं होना चाहिए।
पिछले वर्ष 17 जुलाई को कोर्ट ने Mob Lynching की घटनाएं रोकने के लिए राज्यों को तत्काल सख्त कदम उठाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने ऐसी घटनाओं पर विराम लगाने के लिए क्रम वार दिशा निर्देश जारी किये थे जिसमें जिसमे हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करना और स्पेशल टास्क फोर्स का गठन और पैट्रोलिंग आदि शामिल थे।
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