NEET-PG 2020 : अखिल भारतीय कोटा की खाली सीटों को भरने की मांग, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी 2020 के AIQ की उन 3373 सीटों को घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है जो अंतिम सूची के बाद उम्मीदवारों द्वारा खाली छोड़ दी गई हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नीट-पीजी 2020 (NEET-PG 2020) के तहत अखिल भारतीय कोटा (All India Quota, AIQ) की उन 3373 सीटों को घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है जो अंतिम सूची के बाद चयनित उम्मीदवारों द्वारा खाली छोड़ दी गई हैं। याचिका में कहा गया है कि नीट-पीजी परीक्षा के योग्यता के क्रम में इन सीटों को भरा जाए।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए इसे 14 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। याचिका में कहा गया है कि अंतिम सूची के प्रकाशित होने के बाद कुल 3373 सीटें नीट-पीजी 2020 की दाखिला प्रक्रिया के बाद खाली हो गई हैं। इन सीटों को अब राज्य सरकार या उसके द्वारा नामित प्राधिकारी द्वारा काउंसलिंग के लिए रिजर्व कर दिया गया है।
इस प्रकार रिक्त सीटों की कमी के कारण, याचिकाकर्ता जैसे उम्मीदवार जो उन रिक्त सीटों का लाभ उठाने के लिए वास्तव में तैयार थे, वंचित हो रहे हैं कि उक्त पद रिक्त हैं या राज्यों को दी गई रिक्त सीटें समाप्त हो रही हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया इस पृष्ठभूमि में, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जो उम्मीदवार इन सीट का लाभ उठाने में असमर्थ हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जाए।
अधिवक्ता अदील अहमद की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि कोरोना संकट के चलते इस साल नीट परीक्षाओं के नतीजों में भी देरी हुई। चूंकि एम्स, जेआइपीएमईआर, पीजीआइ-चंडीगढ़ ने अपने परिणाम पहले घोषित कर दिए इससे स्थिति और अराजक हो गई। जिन अभ्यर्थियों ने यह महसूस किया कि उन्होंने तो एम्स, पीजीआई-चंडीगढ़ और JIPMER में सीटें सुरक्षित कर ली हैं, नीट-पीजी परीक्षा के तहत सुरक्षित सीटों को छोड़ दिया।
इस वजह से बड़ी संख्या में सीटें खाली हो गई जिनको अब राज्य प्रवेश समितियों को हस्तांतरित किया जा रहा है। ऐसे में जब देश महामारी की चपेट में है और प्रशिक्षित डॉक्टरों की जरूरत है। यदि ऐसी खाली सीटों को यथावत रखने की अनुमति दी जाती है तो इससे स्वास्थ्य सेवा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कोटा के तहत और साथ ही डीम्ड विश्वविद्यालयों में नीट-पीजी 2020 में प्राप्त रैंकिंग के आधार पर सीटें भरी जाएं।