सीजेआई ने कहा- कोई यह कह कर हाईकोर्ट जज नहीं बन सकता कि मैं हाईकोर्ट जज बनना चाहता हूं
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सात न्यायिक अधिकारियों की ओर से दाखिल याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी में कहा कि यह तो बहुत अनुचित है कि कोई याचिका दाखिल कर कहे कि मुझे हाईकोर्ट जज बनाओ। हालांकि कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सात न्यायिक अधिकारियों की ओर से दाखिल याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है।
यूपी के सात न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
बुधवार को उत्तर प्रदेश के सात न्यायिक अधिकारियों की ओर से दाखिल की गई याचिका मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी. राम सुब्रामण्यम की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। याचिका में न्यायिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम द्वारा उन्हें हाईकोर्ट जज बनाने पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों की याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक छोर पर सिकरेट्री जनरल को, केन्द्र सरकार और एक अन्य न्यायिक अधिकारी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
बोबडे ने कहा- कोई यह कह कर हाईकोर्ट जज नहीं बन सकता कि मैं हाईकोर्ट जज बनना चाहता हूं
याचिका पर नोटिस जारी करने के बाद मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कोई यह कह कर हाईकोर्ट जज नहीं बन सकता कि मै बनना चाहता हूं। जस्टिस बोबडे ने कहा कि आजकल ये नया चलन शुरू हुआ है। मुझे नहीं लगता कि कोई आए और कहे कि मुझे हाईकोर्ट जज बनाओ। आप यह कह कर हाईकोर्ट जज नहीं बन सकते कि मै हाईकोर्ट जज बनना चाहता हूं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हे यह बहुत अनुचित लगता है कि कोई रिट याचिका दाखिल करके हाईकोर्ट जज बनाने की मांग करे।
याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम मेरे नामों पर पुनर्विचार करे
याचिका दाखिल करने वाले सात न्यायिक अधिकारियों में एक न्यायिक अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। बाकी के छह न्यायिक अधिकारी अभी नौकरी में हैं। न्यायिक अधिकारियों की याचिका में आग्रह किया गया है कि कोलीजियम उनके नामों पर पुनर्विचार करे। कहा गया है कि हाईकोर्ट कोलिजियम ने हाईकोर्ट पदोन्नत करने के लिए उनके नामों की सिफारिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम ने गत 14 अगस्त को उनमें से सिर्फ एक न्यायिक अधिकारी को ही पदोन्नति देने का प्रस्ताव मंजूर किया।