Maharashtra Crisis: 'सुप्रीम' फैसले ने उद्धव ठाकरे को इस्तीफे के लिए किया मजबूर; धरी रह गईं सिंघवी की दलीलें, जानें 'कोर्ट' में किसने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इससे सूबे की सियासी तस्वीर ही बदल गई। जानें सर्वोच्च न्यायालय में कैसे चली दलीलें और किस पक्ष ने क्या बातें कही...
नई दिल्ली, ब्यूरो/एजेंसियां। अपनों की बगावत का सामना करने वाले उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा। परिणामस्वरूप शक्ति परीक्षण का सामना करने से पहले ही उन्हें अपनी कुर्सी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि, उनके वकीलों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जोरदार दलीलें दी गईं, लेकिन बागियों की संख्या बल के आगे शीर्ष अदालत से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली और दिनभर कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उद्धव को रात होते होते हथियार डालने पड़े। जानें सर्वोच्च न्यायालय में कैसे हुए सवाल जवाब...
तत्काल सुनवाई की लगाई थी गुहार
शिवसेना के नवनियुक्त चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने गुरुवार को फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बुधवार की सुबह ही यह याचिका कोर्ट के समक्ष मेंशन की गई और तत्काल सुनवाई का आग्रह किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामले पर बुधवार को ही देर शाम सुनवाई कर ली जाए क्योंकि राज्यपाल ने 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट नें आग्रह स्वीकार करते हुए मामले पर शाम पांच बजे सुनवाई करने की मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की पीठ ने शाम पांच बजे सुनवाई शुरू की।
ऐसे हुए सवाल जवाब
- सिंघवी ने कहा- राज्यपाल ने बेवजह की जल्दबाजी दिखाते हुए फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दे दिया है। 28 जून को फ्लोर टेस्ट का पत्र राज्यपाल ने जारी किया जो कि 29 जून की सुबह नौ बजे प्राप्त हुआ और 30 जून को फ्लोर टेस्ट है।
- न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सिंघवी से सवाल- क्या संविधान में कहीं पर भी फ्लोर टेस्ट के लिए न्यूनतम समय तय है, जैसे कि 10,15 या 20 दिन का समय तय है।
- सिंघवी का जवाब- इसकी जानकारी नहीं, पता करके बताएंगे...
- सिंघवी- यह ठीक बात है कि बहुमत परखने के लिए फ्लोर टेस्ट होना चाहिए लेकिन कोर्ट फ्लोर टेस्ट को कुछ समय के लिए टाल दे जब तक कि विधायकों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
- पीठ- अयोग्यता का मामला कोर्ट में लंबित है और कोर्ट उसे तय करेगा। लेकिन इसका राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश से क्या लेना देना है। दोनों चीजें आपस में संबद्ध तो हैं नहीं?
- सर्वोच्च अदालत ने सिंघवी से पूछा- मान लीजिए स्पीकर ने सदस्यों को अयोग्य ठहरा दिया और सदस्यों ने उस आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी तो।
- सिंघवी- यह मामला सामान्य मामलों से अलग है। इस मामले में कोर्ट ने स्पीकर को मामला तय करने से रोक दिया है।
- सर्वोच्च न्यायालय- कोर्ट ने अपवाद स्थिति में मामले में दखल दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पीकर को मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है।
- सिंघवी- फ्लोर टेस्ट के पीछ विपक्षी दल का हाथ। राज्यपाल को कोरोना हुआ था। अस्पताल से आने के एक दिन बाद ही उनकी नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात होती है और वह अगले दिन ही फ्लोर टेस्ट का आदेश दे देते हैं।
- सिंघवी- स्पीकर की कार्यवाही में राजनीति का संदेह किया जाता है लेकिन क्या राज्यपाल होली काऊ है। अगर फ्लोर टेस्ट टाल दिया गया तो आसमान नहीं गिर जाएगा।
शिंदे के वकील बोले- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिया हवाला
एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल- याचिकाकर्ता कोर्ट पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने स्पीकर को कार्यवाही करने से रोका है जबकि स्पीकर की कार्यवाही पर रोक तो पांच न्यायाधीशों की पीठ के नबम राबिया केस में तय कानून में ही लगा दी गई थी। इसमें कहा गया था कि अगर स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है तो स्पीकर सदस्यों की योग्यता के मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर सकता है।
अयोग्यता और फ्लोर टेस्ट दोनों बातें अलग
कौल ने कहा- सदस्यों की अयोग्यता और फ्लोर टेस्ट दोनों अलग अलग चीजें हैं। फ्लोर टेस्ट लोकतंत्र के हित में होता है और उसमें देरी नहीं की जा सकती। राज्यपाल के पास विधायकों के पत्र आए थे। वह यह नहीं कह रहे कि राज्यपाल के निर्णय की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती लेकिन क्या यह ऐसा केस है जिसमें कोर्ट को दखल देना चाहिए।
राज्यपाल के आदेश के तय हैं मानक
राज्यपाल की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा राज्यपाल के आदेश की न्यायिक समीक्षा हो सकती है लेकिन उसके मानक तय हैं और यह मामला उन मानकों में नहीं आता।
कहा- मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र तरीका सदन का पटल
शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दो-टूक कहा कि लोकतंत्र के इन मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र तरीका सदन का पटल ही है। सुनील प्रभु ने याचिका के जरिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को फ्लोर टेस्ट में जाने के राज्यपाल के निर्देश को चुनौती दी थी।
सर्वोच्च अदालत ने पूछा, बड़ा सवाल
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने सुनील प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी से यह भी पूछा कि आप बताइये कि शक्ति परीक्षण अयोग्यता प्रक्रिया को कैसे प्रभावित कर सकता है... या अयोग्यता की कार्यवाही में अध्यक्ष की शक्तियों में यह हस्तक्षेप कैसे कर सकता है। हमारी समझ तो यह है कि लोकतंत्र के इन मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र तरीका सदन का पटल ही है...
सालिसिटर जनरल ने रखा राज्यपाल का पक्ष
- सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से दलीलें दी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले कि शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष के एक्शन पर रोक लगाई है, यह दलील ही गलत है। यह आदेश नहीं है जिसे उन पर रोक लगी है, वरन कानून है जिसने उनको प्रतिबंधित किया है।
- महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से सालिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- स्पीकर मतदाता सूची तय नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास इलेक्टोरल कालेज के निर्धारण का अधिकारी ही नहीं है।
- सालिसिटर जनरल ने कहा कि लोकतंत्र में किस पार्टी या पक्ष के पास बहुमत है। इसका निर्धारण तो सदन के पटल पर ही होता है। ऐसे में इस दलील में दम नजर नहीं आता कि इसके लिए समय कम दिया जा रहा है।
विद्रोही विधायकों ने भी रखा पक्ष
- शिवसेना के बागी विधायकों के समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने भी दलीलें दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इतनी देर से इसलिए सुनवाई कर रहा है ताकि फ्लोर टेस्ट पर सम्यक विचार हो सके लेकिन ऐसा पहली बार है जब फ्लोर टेस्ट को रोकने की गुजारिश की जा रही है।
- वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि शिवसेना के पास केवल 16 विधायक हैं। हमारे पास 39 विधायक हैं।
- आज हम शिवसेना नहीं छोड़ रहे हैं। हम ही शिवसेना हैं। हमारे साथ शिवसेना के 55 में से 39 विधायक हैं।
शिंदे के पक्ष की दलीलें
- एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि सदन का पटल तो भूल जाइए वे (उद्धव ठाकरे) पार्टी (शिवसेना) के भीतर ही 'निराशाजनक अल्पसंख्यक' में हैं।
- एकनाथ शिदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कहा- फ्लोर टेस्ट राज्यपाल के विवेकाधिकार का क्षेत्र है। जब तक राज्यपाल के निर्णय को घोर दुर्भावनापूर्ण या तर्कहीन नहीं माना जाता, तब तक गवर्नर के निर्देश कोई हस्तक्षेप संभव नहीं है।
- इसके साथ ही नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट की एक रूलिंग का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोग्यता की कार्यवाही का फ्लोर टेस्ट पर कोई असर नहीं होगा।
- समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक कौल ने कहा- स्पीकर के समक्ष अयोग्यता की कार्यवाही का लंबित होना फ्लोर टेस्ट में देरी का कोई आधार नहीं है। ऐसे में फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए।
- विद्रोही गुट का पक्ष रहे नीरज किशन कौल ने कहा कि सदन का पटल ही लोकतंत्र की कसौटी है और यहां यही साबित करने की कोशिश की जा रही है।
- नीरज किशन कौल ने कहा- सुप्रीम कोर्ट भी अपने पूर्व के फैसलों में कह चुका है कि जब कोई सीएम फ्लोर पर जाने की अनिच्छा दिखाता है, तो प्रथम दृष्टया साफ हो जाता है कि वह सदन का विश्वास खो चुका है...
- एकनाथ शिंदे के वकील ने यह भी कहा कि हार्स ट्रेडिंग को रोकने का सबसे अच्छा तरीका फ्लोर टेस्ट ही है। इसमें किसी भी देरी से लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान ही होगा।
- नीरज किशन कौल ने कहा- महाराष्ट्र में जैसी परिस्थिति बनी है ऐसी स्थितियों के लिए फ्लोर टेस्ट की आवश्यकता होती है। राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे आयोजित कराने का फैसला किया है...
उद्धव गुट की दलीलें
- शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल का पत्र जो फ्लोर टेस्ट को लेकर है। इसमें कहा गया है कि 28 जून को विपक्ष के नेता ने राज्यपाल से मुलाकात की। आज सुबह हमें इसके जरिए कल यानी गुरुवार को फ्लोर टेस्ट कराए जाने के बारे में जानकारी मिली। मौजूदा वक्त में राकांपा के दो सदस्य कोरोना से पीड़ित हैं और एक कांग्रेस विधायक देश से बाहर है।
- सुनील प्रभु के वकील ने आगे कहा- यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा चुनाव आयोग तुरंत चुनाव कराने का निर्देश जारी कर दे। यह अफरातफरी में चुनाव कराने की तरह है जहां मतदाताओं में मृत लोग या ऐसे लोग शामिल होंगे जो बाहर चले गए हैं। यदि फ्लोर टेस्ट यह निर्धारित किए बिना किया जाता है कि क्या ए, बी, सी और डी अयोग्य हैं, तो यह निरर्थक होगा...
- सुनील प्रभु के वकील ने यह भी कहा कि फ्लोर टेस्ट यह निर्धारित करता है कि कौन सी सरकार लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। सही बहुमत का पता लगाने के लिए फ्लोर टेस्ट कराया जाता है लेकिन इसमें योग्य लोग शामिल होने चाहिए। ऐसे में जब एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता की कार्यवाही पर रोक लगा रखी है तो दूसरी तरफ विधायक कल मतदान में हिस्सा लेने जा रहे हैं, यह तो सीधा विरोधाभास है।
- सुनील प्रभु के वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह न्यायालय अयोग्यता कार्यवाही की वैधता पर विचार कर रहा है। इस मामले में 11 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है। ऐसे में अयोग्यता का मसला फ्लोर टेस्ट से सीधे जुड़ा हुआ है।
- सुनील प्रभु के वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा- जो लोग पक्ष बदल चुके हैं और दलबदल कर चुके हैं, वे लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं करते। क्या राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते? कल फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो क्या आसमान टूट जाएगा?
- अधिवक्ता सिंघवी ने कहा- जहां मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और फैसले का इंतजार कर रहा है, ऐसे में कोविड से ठीक हुए राज्यपाल अगले दिन विपक्ष के नेता के साथ बैठक करने के बाद फ्लोर टेस्ट की मांग कैसे कर सकते हैं?
- सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट की अनुमति देने का मतलब दसवीं अनुसूची को मृत पत्र बनाना होगा। जिन लोगों ने पाला बदल लिया है, वे लोगों की इच्छा को नहीं दर्शाते हैं।
- शिवसेना नेता सुनील प्रभु के वकील सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोर्ट को तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं होने देना चाहिए जब तक डिप्टी स्पीकर बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर लेते...
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनील प्रभु के वकील से पूछा- अयोग्यता का मामला हमारे पास लंबित है, यह बात तो ठीक है लेकिन इसका फ्लोर टेस्ट से क्या लेना देना है, कृपया स्पष्ट करें।
- सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी पूछा- अयोग्यता का मामला हमारे सामने लंबित है, हम तय करेंगे कि नोटिस वैध है या नहीं..? लेकिन यह फ्लोर टेस्ट को कैसे प्रभावित कर रहा है..? यह बात तो बताइये...
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनील प्रभु की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक सिंघवी से पूछा- क्या आप इस बात पर विवाद कर रहे हैं कि आपकी पार्टी के 34 सदस्यों ने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं?
- सिंघवी का जवाब- कोई सत्यापन नहीं है। सरकार ने एक हफ्ते तक पत्र रखा और केवल तभी कार्रवाई की जब लीडर आफ फ्लोर उनसे मिले। मौजूदा वक्त में सरकार की हर कार्रवाई न्यायिक समीक्षा के अधीन है...
सुप्रीम कोर्ट की दो-टूक, सदन का पटल ही बेहतर तरीका
सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कोर्ट को तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं होने देना चाहिए जब तक डिप्टी स्पीकर बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर लेते... इस प सुप्रीम कोर्ट ने दो-टूक कहा कि हमारी समझ यह है कि लोकतंत्र के इन मसलों को सुलझाने का एकमात्र और ठोस तरीका सदन का पटल ही है।
राज्यपाल के फैसले पर उठाए थे सवाल
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि फ्लोर टेस्ट कराया जाता है तो अयोग्यता का सामना कर रहे विधायकों के मतों की गिनती भी की जाएगी जो गलत है। फ्लोर टेस्ट में ऐसे नाम शामिल नहीं हो सकते हैं जो अयोग्य हों। वहीं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने तत्काल सुनवाई पर आपत्ति जताई। बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव से गुरुवार को सुबह 11 बजे एमवीए सरकार का फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे।
नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने भी खटखटाया था शीर्ष अदालत का दरवाजा
राकांपा के जेल में बंद विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने भी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में भाग लेने की अनुमति के लिए उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई थी। अधिवक्ता सुधांशु एस चौधरी ने अवकाशकालीन पीठ से कहा कि दोनों विधायकों पर धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किए गए हैं। इस मामले वे जेल में बंद हैं। इसलिए उन्हें टेस्ट में भाग लेने की अनुमति प्रदान की जाए।
राकांपा नेता ने भी दिए फ्लोर टेस्ट में जाने के संकेत
इस बीच सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्य कैबिनेट की बैठक ली जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री जयंत पाटिल राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद संवादताओं को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन मिला लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें अपनी ही पार्टी (शिवसेना) के लोगों का समर्थन नहीं मिला। पाटिल ने कहा- कल फ्लोर टेस्ट होगा और जिसमें पूरी तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है...
#WATCH असम: महाराष्ट्र के बागी विधायक कामाख्या मंदिर के दर्शन कर गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल लौटे। pic.twitter.com/j7c2tTqQ3A
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 29, 2022
बागियों ने दिखाई ताकत, शिंदे बोले- कूच करेंगे मुंबई
दूसरी तरह महाराष्ट्र के बागी विधायक कामाख्या मंदिर के दर्शन कर गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल लौटे हैं। बागी शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने बुधवार को गुवाहाटी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम गुरुवार को मुंबई पहुंचेंगे। 50 विधायक हमारे साथ हैं। हमारे पास 2/3 बहुमत है। हम किसी भी फ्लोर टेस्ट के बारे में चिंतित नहीं हैं। हम सब कुछ पास करेंगे और हमें कोई नहीं रोक सकता। लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है और हमारे पास वह है।
#WATCH | Assam: Rebel Maharashtra MLAs raise slogans of "Chhatrapati Shivaji Maharaj ki jai" and "Eknath Shinde sahab tum aage badho, hum tumhare saath hain", as they arrive at Guwahati airport. pic.twitter.com/GkT9lguY3V
— ANI (@ANI) June 29, 2022
शिंदे की ललकार- हम ही असल शिवसेना
बागी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने गुवाहाटी में यह भी कहा कि हम विद्रोही नहीं हैं। हम शिवसेना हैं। हम बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के एजेंडे और विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। हम हिंदुत्व की विचारधारा और राज्य के विकास के लिए काम करेंगे। सभी लोग गुरुवार को मुंबई पहुंचेंगे और फ्लोर टेस्ट में शामिल होंगे। उसके बाद हमारे विधायक दल की बैठक होगी और फिर आगे की रणनीति का हम निर्णय लेंगे।