सुप्रीम कोर्ट 'हैरान', पूछा- क्या आप दुष्कर्म की कीमत 6,500 रुपए लगाते हैं?
दुष्कर्म मामले में राज्यों द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि पर सुप्रीम कोर्ट हैरान। मध्यप्रदेश से पूछा- क्या आप दुष्कर्म की कीमत 6,500 रुपए लगाते हैं?
नई दिल्ली, (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली मुआवजा राशि पर हैरानी जताते हुए सवाल किया है कि क्या आप दुष्कर्म की कीमत 6,500 रुपए लगाते हैं? क्या सरकार इतनी कम राशि देकर 'चैरिटी' कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बात से हैरान है कि निर्भया फंड से सबसे ज्यादा राशि पाने वालों में मध्य प्रदेश की दुष्कर्म पीड़िता है, जिसे सिर्फ 6,000-6,500 रुपए दिए जा रहे हैं। मालूम हो कि 19 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में सरकार के एक बयान के मुताबिक निर्भया फंड से मध्य प्रदेश को विभिन्न मदों में 21.80 करोड़ रुपए मिले, जो उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक है।
जस्टिस मदन बी. लोकुर तथा जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा- 'हलफनामे के अनुसार आप(मप्र) एक दुष्कर्म पीड़िता को औसतन 6,000 रुपए देते हैं। क्या आप चैरिटी कर रहे हैं? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?' कोर्ट ने कहा कि मप्र के आंकड़े बहुत ही खराब हैं। राज्य में 1,951 दुष्कर्म पीड़िता हैं और आप उन्हें 6,000- 6,500 रुपए (प्रति पीड़िता) दे रहे हैं। क्या यह ठीक और सराहनीय है? यह पूरी असंवेदनशीलता है। कोर्ट ने कहा कि निर्भया फंड से सबसे ज्यादा राशि हासिल करने वालों में होने के बावजूद राज्य ने 1,951 दुष्कर्म पीड़िताओं पर सिर्फ एक करोड़ रपए खर्च किए है।
हरियाणा को भी फटकार
कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी निर्भया फंड के बारे में हलफनामा दाखिल नहीं करने पर फटकार लगाई है। पिछले माह कोर्ट ने सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को इस बाबत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था कि निर्भया फंड के तहत पीड़िता को मुआवजा के लिए उन्हें कितनी राशि मिली, कितनी राशि बांटी और यौन हिंसा की कितनी पीड़िताएं हैं? लेकिन 24 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। सुनवाई के दौरान हरियाणा के वकील ने कहा कि वे अपना हलफनामा दाखिल करेंगे, इस पर पीठ ने कहा, 'यदि आप हलफनामा नहीं देते हैं तो बिलकुल स्पष्ट संकेत है कि आप अपने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में क्या महसूस करते हैं।'
चार हफ्ते में दें हलफनामा
कोर्ट ने अपने निर्देश के बावजूद 24 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हलफनामा दाखिल नहीं किए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा- 'आप अपना समय लीजिए और अपने राज्य की महिलाओं को बताएं कि आप उनकी फिक्र नहीं करते।' कोर्ट ने इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि चार सप्ताह में हलफनामा दायर करें।
क्या यह मजाक है?
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने जब यह बताया कि उन्हें सिर्फ एक हलफनामा सिक्किम की ओर से मिला है तो कोर्ट ने पूछा- 'क्या यह मजाक है? यदि इस केस में आपकी रुचि नहीं है तो बताएं। आप किस आधार पर कह रहे हैं कि सिर्फ एक राज्य ने हलफनामा दिया है। आपने अपने दफ्तर की रिपोर्ट भी नहीं देखी है?' मेघालय के वकील ने पीठ को बताया कि 48 दुष्कर्म पीड़िताओं में 30.55 लाख रुपए बांटे गए हैं।
मालूम हो कि 16 दिसंबर, 2012 को राष्ट्रीय राजधानी में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाएं लगाई गई। कोर्ट सभी याचिकाओं को एकसाथ जोड़ते हुए इस बारे में समय-समय पर दिशा-निर्देश देता रहा है।
निर्भया फंड पर एक नजर
इस फंड की शुरुआत 2013 से की गई। इसके तहत केंद्र की ओर से सालाना एक हजार करोड़ रुपए इस फंड को दिए जाते हैं। संसदीय समिति ने मार्च 2016 में कहा कि 2013-16 तक निर्भया फंड में तीन हजार करोड़ रुपए दिए गए। महिला एवं विकास मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि तीन वर्षों में करीब 600 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन इसका कोई जवाब नहीं है कि 24 सौ करोड़ रुपए का इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ।