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कोरोना महामारी पर SC सख्‍त: वैक्‍सीन और ऑक्‍सीजन पर केंद्र से मांगा अपडेट, पूछा- क्‍या है नेशनल प्‍लान

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के कारण बनी मौजूदा परिस्थितियों में वादी की ओर से याचिका दायर करने की समयावधि अगले आदेश तक बढ़ा दी है। अपने एक अन्‍य फैसले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस महामारी से निपटने के लिए आपकी राष्‍ट्रीय योजना प्लान क्या है ?

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 06:22 PM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 06:46 PM (IST)
कोरोना महामारी पर SC सख्‍त: वैक्‍सीन और ऑक्‍सीजन पर केंद्र से मांगा अपडेट, पूछा- क्‍या है नेशनल प्‍लान
कोरोना राष्‍ट्रीय आपदा, याचिका की समयावधि बढ़ाई, वैक्‍सीन पर मांगा अपडेट। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के कारण बनी मौजूदा परिस्थितियों में वादी की ओर से याचिका दायर करने की समयावधि (पीरियड ऑफ लिमिटेशन) अगले आदेश तक बढ़ा दी है। उधर, देश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस महामारी से निपटने के लिए आपकी राष्‍ट्रीय योजना प्लान क्या है ? क्या वैक्सीनेशन ही मुख्य विकल्प है। सुनवाई की शुरुआत में ही अदालत ने स्पष्ट कहा कि हमें लोगों की जिंदगियां बचाने की जरूरत है,  जब भी हमें जरूरत महसूस होगी, हम दखल देंगे।

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14 मार्च, 2021 तक समाप्त हो रहे पीरियड ऑफ लिमिटेशन को बढ़ाया

अदालत ने कहा कि कोरोना ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए 14 मार्च, 2021 तक समाप्त हो रहे पीरियड ऑफ लिमिटेशन को अगले आदेश तक बढ़ाया जाता है। पीठ में जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एएस बोपन्ना भी शामिल रहे। कोरोना के कारण मार्च, 2020 में अदालत ने लिमिटेशन पीरियड को अगले आदेश तक के लिए विस्तार दिया था। इसके तहत अदालतों और ट्रिब्यूनलों में याचिका की समयावधि बढ़ाई गई थी। पिछले दिनों अदालत ने इस विस्तार को समाप्त करने का फैसला किया था। एक बार फिर कोरोना के कारण मुश्किल होते हालात को देखते हुए इसे विस्तार देने का फैसला लिया गया है।

मूकदर्शक नहीं रह सकती अदालत

शीर्ष अदालत ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए राष्ट्रीय संकट के इस समय हम मूकदर्शक नहीं रह सकते है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दे पर हमारा दखल देना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से मेडिकल सुविधाएं, ऑक्सीजन सप्लाई और वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर जानकारी मांगी है। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश एसआर भट्ट ने कहा कि सेना, रेलवे के डॉक्टर्स केंद्र के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में क्या इन्हें क्वारनटीन, वैक्सीनेशन और अन्य इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस पर क्या राष्ट्रीय योजना है ?

शीर्ष अदालत ने वैक्सीनेशन के दामों पर उठाए सवाल

शीर्ष अदालत ने सवाल करते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है, वैक्सीन के दाम पर केंद्र सरकार क्‍या कर रही है। अगर ये नेशनल इमरजेंसी नहीं है, तो फिर क्या है ? दरअसल, अदालत में सुनवाई के दौरान राजस्थान, बंगाल की ओर से वैक्सीन के अलग-अलग दाम पर आपत्ति जताई थी। अदालत ने सरकार से वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर जानकारी मांगी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस इस रविन्द्र भट की पीठ ने कहा कि यह राष्ट्रीय आपदा है। इस समय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक कलह नहीं होनी चाहिए। पीठ ने वेदांता को तूतीकोरिन कॉपर प्लांट में सिर्फ ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की इजाजत दी।


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