राजनीति की बिसात का मोहरा हैं झुग्गियां, रेलवे नियमों का उड़ा रहीं धज्जियां
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे के 140 किमी ट्रैक के किनारे बनी झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। रेलवे पटरियों के किनारे बस चुकी अवैध झुग्गियां न सिर्फ आर्थिक रूप से रेलवे को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि सुरक्षित रेल परिचालन के लिए भी बड़ा खतरा हैं। जानकारी के अनुसार, लगभग 27 हजार से ज्यादा झुग्गियां सेफ्टी जोन में बनी हुई हैं।
झुग्गी बस्तियों की सियासत नई नहीं है, बल्कि दशकों से चली आ रही है। ये झुग्गियां हर राजनीतिक पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक हैं। दिल्ली से लेकर नगर निगम तक की सत्ता का रास्ता इन्हीं से होकर गुजरता है। यही वजह है कि झुग्गी बस्तियों को हटाने और इनके बदले पक्का मकान देने की बात तो सभी करते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा करना कोई नहीं चाहता।
परियोजनाओं की राह में रोड़ा हैं झुग्गियां
अतिक्रमण की वजह से निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। रेलवे कर्मचारी व अधिकारियों के लिए कॉलोनी बनाने, रेलवे स्टेशनों का विकास, नई रेल लाइन बिछाने का काम भी प्रभावित हो रहा है। रेल सेवा के विस्तार, ट्रेनों की आवाजाही बेहतर करने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है। कई योजनाएं भी बनाई गई हैं, लेकिन रेलवे भूमि पर अतिक्रमण की वजह से इनमें देरी हो रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेलवे के 140 किमी ट्रैक के किनारे बनी झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया है। साथ में यह भी कहा है कि कोई अदालत इस मामले पर रोक नहीं लगाएगी और न ही इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप होगा। रेलवे से पटरियों के किनारे का कूड़ा-कचरा भी हटाने को कहा गया है।