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Pegasus Matter: सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए केंद्र को मिला 10 दिन का समय

Pegasus Case पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और केंद्र की ओर से मांगे गए समय की अनुमति दे दी। इस अवधि में चयन समितियों द्वारा दिए गए सुझावों के बावजूद ट्रिब्यूनल के लिए नियुक्तियां करनी हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 12:16 PM (IST)
Pegasus Matter: सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए केंद्र को मिला 10 दिन का समय
पेगासस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया 10 दिन का समय

नई दिल्ली, एएनआइ। पेगासस मामले (Pegasus Matter) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई की गई। ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए केंद्र को दस दिन का समय दिया गया है।  केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया। केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि मामले की जांच के लिए वह विशेषज्ञों की एक कमिटी (Tribunal) बनाएगा।

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केंद्र ने  कोर्ट से कहा कि पेगासस जासूसी प्रकरण में कुछ छिपाने को नहीं है और सभी पहलुओं को देखने के लिए यह विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित करेगा। केंद्र ने कहा कि यह मामला काफी तकनीकी है जिसकी जांच के लिए विशेषज्ञों का होना जरूरी है। मामले में जांच के लिए याचिका दायर करने वाले पत्रकारों एन राम व शशिकुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि हलफनामे से यह नहीं पता चलता है कि सरकार या इसकी एजेंसी इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करती थी या नहीं।

चीफ जस्टिस एनवी रमना (N V Ramana) और जस्टिस सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस की बेंच के पास हलफनामा दायर किया गया। केंद्र सरकार ने कहा कि कथित पेगासस जासूसी प्रकरण को लेकर संसद में आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले ही स्पष्टीकरण दे दिया है। कोर्ट में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने हलफनामे के कुछ अंश पढ़कर सुनाए जिसमें उन सभी आरोपों का खंडन किया गया है। सॉलिसीटर ने पढ़ा, 'एक वेब पोर्टल ने संसद सत्र की शुरुआत से पहले सनसनी फैलाने के लिए कुछ अपुष्ट बातें प्रकाशित कर दीं। फिर भी हम स्थिति साफ करने के लिए निष्पक्ष तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाना चाहते हैं।' सॉलिसीटर जनरल ने कहा, 'पेगासस बनाने वाले NSO ग्रुप कह चुका है कि भारत को उसने स्पाईवेयर नहीं बेचा। उसके ग्राहक मुख्य रूप से पश्चिमी देशों में हैं। सरकार फिर भी भलमनसाहत दिखाते हुए कमिटी बनाना चाहती है। मुझे नहीं पता कि याचिकाकर्ता आखिर क्या चाहते हैं?'


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