भीमा कोरेगांव हिंसा: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, पुलिस ने मांगी नवलखा की गिरफ्तारी की इजाजत
महाराष्ट्र पुलिस ने मांग की कि हाई कोर्ट के आदेश को रद करके सुप्रीम कोर्ट अन्य आरोपियों की तरह नवलखा को भी गिरफ्तार करने की अनुमति दे।
नई दिल्ली, एएनआइ। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में कथित नक्सली संबंध के आरोप में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया है। भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पांच आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पेश करने को कहा है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं इसलिए तकनीकी आधार पर जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पांच आरोपियों सुरेंद्र गाडलिंग, सोमा सेन, महेश राउत, सुधीर धवले और रोना विल्सन के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पेश करने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मराठी में दाखिल चार्जशीट को ट्रांसलेट कर दाखिल किया जाए, क्योंकि कोर्ट देखना चाहता है कि पांचों के खिलाफ क्या आरोप हैं।
इधर महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी मांग की है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार करने की इजाजत दी जाए। पुलिस ने कहा कि कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि गौतम नवलखा का अन्य आरोपियों के साथ करीबी संबंध हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस इस मामले में 8 दिसंबर से पहले चार्ज शीट दाखिल करे।
महाराष्ट्र पुलिस ने मांग की कि हाई कोर्ट के आदेश को रद करके सुप्रीम कोर्ट अन्य आरोपियों की तरह नवलखा को भी गिरफ्तार करने की अनुमति दे। उसने कहा कि गौतम नवलखा के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप गंभीर हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 दिसंबर को होगी। हालांकि नवलखा कह चुके हैं कि पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
बता दें कि वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वेरनोन गोन्जाल्विस और अरुण फरेरा को एक जनवरी को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद माओवादियों के साथ संबंध रखने के आरोप में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को एक नवंबर तक गिरफ्तार करने से रोक दिया था।