सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इन्सॉल्वेंसी की आड़ में एजीआर देनदारी नहीं चुकाना बेहद चिंताजनक
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों द्वारा एजीआर बकाया भुगतान नहीं करने को चिंताजनक बताया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों द्वारा एजीआर बकाया भुगतान नहीं करने को चिंताजनक बताया है। कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह तो ऐसा ही है जैसे कोई घोड़े का दाम चुकाए बिना घुड़सवारी के मजे ले रहा हो। कोर्ट का कहना था कि इस तरह से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code, IBC) प्रक्रिया से गुजर रही टेलीकॉम कंपनियों की पूरी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया देनदारी ही खत्म हो जाएगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, एस. अब्दुल नजीर और एमआर शाह की पीठ ने स्पष्ट कहा कि स्पेक्ट्रम की खरीद-फरोख्त और आइबीसी के तहत इसकी बिक्री दो बिल्कुल अलग चीजें हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है कि एजीआर बकाया जैसी देनदारी को आइबीसी के तहत स्पेक्ट्रम बेचने की आड़ में इस तरह खत्म कर दिया जाए। कोर्ट ने दूरसंचार विभाग से रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) और एयरसेल को वर्ष 1999 के बाद से आवंटित पूरे स्पेक्ट्रम का हिसाब-किताब पेश करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान एयरसेल मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से पेश वकील रवि कदम का कहना था कि अप्रैल, 2016 से भारती एयरटेल के साथ स्पेक्ट्रम खरीद-फरोख्त के आठ सौदे हुए हैं और हर बार दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने इसकी इजाजत दी है। लेकिन एयरसेल ने किसी के साथ भी स्पेक्ट्रम साझा नहीं किया है।
इस पर कोर्ट ने कदम से पूछा कि एयरसेल की इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया का उसकी एजीआर बकाया देनदारी से क्या लेनादेना है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या भारती एयरटेल ने एयरसेल से खरीदे गए स्पेक्ट्रम के एवज में एजीआर बकाया का भुगतान किया है। इस पर एयरटेल की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि कंपनी ने स्पेक्ट्रम खरीद-फरोख्त से संबंधित सभी बकाये का भुगतान किया है। कंपनी ने एजीआर बकाया मद में 18,004 करोड़ रुपये जमा किए हैं।