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कोलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र सरकार की कार्रवाई में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की कोलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र की ओर से कार्रवाई में देरी पर बुधवार को सख्त संज्ञान लिया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह बहुत ही चिंता का विषय है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 01:26 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 01:26 AM (IST)
कोलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र सरकार की कार्रवाई में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
कानून मंत्रालय को सिफारिशों पर जवाब देने के लिए कितना वक्त चाहिए।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की कोलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र की ओर से कार्रवाई में देरी पर बुधवार को सख्त संज्ञान लिया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह 'बहुत ही चिंता का विषय' है। कोर्ट ने कहा कि आज की तारीख में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी 189 प्रस्ताव लंबित हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने सरकार को अपने ताजा रुख से अवगत कराने को भी कहा।

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सीजेआई ने कहा- कानून मंत्रालय को सिफारिशों पर जवाब देने के लिए कितना वक्त चाहिए

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को इस बात से अवगत कराने को कहा कि हाई कोर्टो में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम की सिफारिशों पर जवाब देने के लिए कानून मंत्रालय को कितने वक्त की जरूरत होगी। पीठ ने कहा, 'यदि आप कोलेजियम की सिफारिशों पर पांच महीने तक टिप्पणी नहीं करेंगे तो यह बहुत ही चिंता का विषय है।' पीठ के सदस्यों में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं।

यदि कोलेजियम की सिफारिशों पर पांच महीने तक टिप्पणी नहीं करेंगे तो यह चिंता का विषय है

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की, 'हम लंबित नामों पर 29 जनवरी को अपडेट चाहते हैं और मान लिया जाए कि आपको आपत्ति है और आप नाम वापस भेजते हैं तो हम फिर से उसे दोहरा सकते हैं, लेकिन यदि आप कोलेजियम की सिफारिशों पर पांच महीने तक टिप्पणी ही नहीं करेंगे तो यह बहुत ही चिंता का विषय है।' पीठ ने कहा, 'कुछ मामलों में केंद्र ने सिफारिशों पर जवाब देने में एक साल से अधिक का समय लगाया और आमतौर पर उनके लंबित रहने के लिए खुफिया ब्यूरो (आइबी) या राज्य सरकारों का जिक्र किया।' अदालत ने इस विषय की सुनवाई दो हफ्ते बाद के लिए निर्धारित करते हुए कहा, 'हमें इसे ठीक करने की जरूरत है।'

बता दें कि यह टिप्पणी 2019 की ओडिशा के पीएलआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की एक याचिका के हस्तांतरण पर की गई है। वहां उस वक्त वकीलों ने राज्य के अन्य हिस्सों में हाई कोर्ट की सर्किट पीठ की मांग करते हुए कई जिलों में हड़ताल कर दी थी। इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सरकार को उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्त प्रकिया के दौरान उसे भेजी गई सिफारिशों को मंजूरी देने में औसतन 127 दिनों का वक्त लगता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को इस सिलसिले में 119 दिनों का वक्त लगता है।

कोलेजियम पर होता है अविश्वसनीय दबाव

समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में रिक्तियां हैं फिर भी कोई सिफारिश नहीं की गई है। उन्होंने पूछा कि जज के रिटायरमेंट से पहले नियुक्ति की प्रक्रिया क्यों नहीं पूरी की जानी चाहिए। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'जब कोलेजियम द्वारा नामों पर विचार किया जाता है तो जिस तरह का दबाव होता है वह अविश्वसनीय होता है।'


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