दुष्कर्म पीड़िताओ के लिए मुआवजा नीति बनाने का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि इस कमेटी में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा या उनके द्वारा नामित सदस्य भी शामिल होगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी (नालसा) को दुष्कर्म पीडि़ताओं और एसिड हमला पीडि़ताओं को मुआवजा दिये जाने के बारे में नीति तैयार करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एप आधारित टैक्सी सर्विस को नियमित किये जाने पर भी विचार करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में सुझाव मांगे हैं।
ये निर्देश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा और दुष्कर्म पीडि़ताओं को मुआवजे के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए दिए। कोर्ट ने नालसा को निर्देश दिया है कि वह चार- पांच सदस्यों की एक कमेटी गठित करे। यह कमेटी दुष्कर्म पीडि़ताओं और एसिड हमला पीडि़ताओं को मुआवजे के बारे मे माडल रूल तैयार करे। कोर्ट ने कहा कि इस कमेटी में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा या उनके द्वारा नामित सदस्य भी शामिल होगा। कमेटी मुआवजा नीति पर अपनी रिपोर्ट 31 दिसंबर तक कोर्ट में दाखिल कर देगी। कोर्ट ने कहा कि नियम सभी राज्यों के लिए एक समान होने चाहिए।
इससे पहले मामले में न्यायालय की मददगार वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह ने कहा कि पुलिस और राज्य सरकारों को पीडि़ताओं को सुरक्षा और संरक्षण देने का आदेश दिया जाए क्योंकि कई बार पीडि़ताएं अभियुक्तों के दबाव में आकर अपने आरोपों से मुकर जाती हैं। उन्होंने कहा कि पीडि़ताओं को मुआवजे की मौजूदा नीति स्पष्ट नहीं हैं।
जयसिंह ने पब्लिक टांस्पोर्ट में सुरक्षा और एप आधारित टैक्सी सर्विस में सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि मदद के लिए एप आधारित टैक्सी सर्विस उपलब्ध कराने वालों के पास नहीं पहुंचा जा सकता है। ऐसे में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो रही हैं। जयसिंह ने कहा कि कोर्ट को इस मुद्दे पर भी विचार करना चाहिए। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से एप आधारित टैक्सी सर्विस नियमित किये जाने के बारे में सुझाव मांगे है। कोर्ट ने कहा कि वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एप आधारित टैक्सी सर्विस को नियमित किये जाने के मुद्दे 7 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
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