सुप्रीम कोर्ट का आदेश, CBI-ED समेत सभी जांच एजेंसियों के कार्यालयों में लगाए जाएं CCTV
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NIA) राजस्व खुफिया विभाग (Revenue Intelligence Department) और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय समेत जांच एजेंसियां जिनके कार्यालयों में आरोपियों के साथ पूछताछ की जाती है। उन कार्यालयों में सीसीटीवी लगाए जाने चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र।: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को भी निर्देश दिए कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) समेत ऐसी जांच एजेंसियों के आफिसों में सीसीटीवी कैमरे और रिकार्डिग उपकरण लगाए जाएं जो पूछताछ करती हैं और जिन्हें गिरफ्तारी करने का अधिकार है।जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक पुलिस थाने, सभी प्रवेश एवं निकास द्वारों, मुख्य द्वार, लाकअप, कारीडोर, लाबी और रिसेप्शन के साथ-साथ लाकअप रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि कोई भी स्थान कैमरे की जद से न छूट जाए।
शीर्ष अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकने के लिए सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। पीठ ने आगे कहा कि सीसीटीवी सिस्टम में आडियो-वीडियो फुटेज के साथ-साथ नाइट विजन उपकरण भी होने चाहिए। केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनिवार्य होगा कि वे ऐसी प्रणालियों की खरीद करें जिसमें अधिकतम समय (न्यूनतम एक साल) के लिए स्टोरेज क्षमता हो। पीठ ने कहा, 'इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया जाता है कि सेंट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआइ), नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए), इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी), नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), डिपार्टमेंट आफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस, सीरियस फ्राड इंवेस्टीगेशन आफिस और अन्य एजेंसियों जिन्हें जांच और गिरफ्तारी करने का अधिकार है, के आफिसों में भी सीसीटीवी कैमरे और रिकार्डिग उपकरण लगाए जाएं।
ज्यादातर ऐसी एजेंसियां अपने आफिसों में ही पूछताछ करती हैं। ऐसे सभी आफिसों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएं जहां ऐसी पूछताछ की जाती है और पुलिस थानों की तरह आरोपितों को रखा जाता है।'शीर्ष अदालत ने कहा, इस साल सितंबर में उसने इस मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन अप्रैल, 2018 के आदेश के मुताबिक हर थाने में सीसीटीवी कैमरों के वास्तविक स्थान और ओवरसाइट कमेटियों के गठन के बारे में बताने के लिए कहा था। 12 पेज के अपने आदेश में पीठ ने कहा कि 24 नवंबर तक 14 राज्यों द्वारा अनुपालन का हलफनामा और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की गई। इनमें भी ज्यादातर राज्य पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों का वास्तविक स्थान और अन्य विवरण बताने में विफल रहे।
एजी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में कभी नहीं हुईं महिला सीजेआइ
अटार्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश में कभी कोई महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर यौन हिंसा से जुड़े मामलों में ज्यादा संतुलित और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत कुल 34 जजों के मुकाबले वर्तमान में सिर्फ दो महिला जज हैं और उच्च न्यायपालिका में यह संख्या लगातार कम रही है।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ को वेणुगोपाल ने यह सुझाव अधिवक्ता अपर्णा भट की मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान दिया। हाई कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक मामले में आरोपित को इस शर्त पर जमानत प्रदान कर दी थी कि उसने कथित पीडि़ता से राखी बंधवाने का अनुरोध किया है।ईपीएफ एक्ट के प्रावधान निजी सुरक्षा एजेंसियों पर भी लागूसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एंप्लाई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) एक्ट के प्रावधान उन निजी सुरक्षा एजेंसियों पर भी लागू होते हैं जो अपने ग्राहकों को कर्मी उपलब्ध कराते हैं। जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी भुगतान के आधार पर अपने ग्राहकों को प्रशिक्षित और कुशल सुरक्षा कर्मी उपलब्ध कराती है। पीठ ने कंपनी की दलीलों को खारिज कर दिया।