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सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की हत्या के दोषी की मौत की सजा उम्रकैद में बदली, कहा- दोषी में सुधार की संभावना

मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने दोषी को बिना किसी छूट के 20 साल उम्रकैद की सजा सुनाई। 27 जून 2009 को सुंदर ने बच्चे का उस समय अपहरण कर लिया था जब वह स्कूल से लौट रहा था।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 21 Mar 2023 08:55 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2023 08:55 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की हत्या के दोषी की मौत की सजा उम्रकैद में बदली, कहा- दोषी में सुधार की संभावना
तमिलनाडु में सात वर्षीय बच्चे के अपहरण और हत्या का मामला

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में सात वर्षीय बच्चे के अपहरण और हत्या के दोषी को सुनाई गई मौत की सजा को बदलकर 20 साल का आजीवन कारावास कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, हालांकि सुंदर उर्फ सुंदरराजन ने जघन्य अपराध किया है। फिर भी उसमें सुधार की संभावना बनी हुई है।

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कोर्ट ने कहा-अपराध जघन्य, लेकिन दोषी में सुधार की संभावना है

मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने दोषी को बिना किसी छूट के 20 साल उम्रकैद की सजा सुनाई। 27 जून, 2009 को सुंदर ने बच्चे का उस समय अपहरण कर लिया था, जब वह स्कूल से लौट रहा था। पीठ ने कहा, हमें अपहरण और हत्या मामले में याचिकाकर्ता के दोष पर शक करने की कोई वजह नहीं दिखती। दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने के लिए समीक्षा के तहत अपनी शक्तियों को अमल में लाने की आवश्यकता नहीं है। हम मौत की सजा को 20 साल की उम्रकैद में तब्दील करते हैं।

शीर्ष अदालत ने कुड्डलोर के पुलिस प्रमुख को भी जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट में सुंदर की ओर से दलील दी गई कि निचली अदालत में सजा पर अलग से सुनवाई नहीं की गई है। मृत्युदंड देने से पहले अपीलीय अदालतों में कम करने वाली परिस्थितियों पर भी विचार नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत ने कुड्डलोर के पुलिस प्रमुख को भी नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने पूछा कि अदालत में दाखिल उस हलफनामे के अनुपालन में उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए, जिसमें याचिकाकर्ता के आचरण को छिपाया गया था। पीठ ने रजिस्ट्री को अधिकारी के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2013 के उसके अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर आया है। अदालत ने 2013 में अपराधी की मौत की सजा बरकरार रखी थी।


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