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सुप्रीम फैसला: उच्च न्यायालयों में लंबित 57 लाख मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, जानिए क्या हैं तीन बड़े आदेश

देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित 57 लाख मुकदमों के जल्द निपटारे उच्च अदालतों में खाली पड़े 40 फीसद पदों को समय से भरने तथा निचली अदालतों में वर्षों से रेंगते ट्रायल को रफ्तार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है। शीर्ष अदालत ने तीन बड़े आदेश दिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 12:05 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 12:05 AM (IST)
सुप्रीम फैसला: उच्च न्यायालयों में लंबित 57 लाख मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, जानिए क्या हैं तीन बड़े आदेश
उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियमित नियुक्ति की समय सीमा तय की।

नई दिल्ली, ब्यूरो। देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित 57 लाख मुकदमों के जल्द निपटारे, उच्च अदालतों में खाली पड़े 40 फीसद पदों को समय से भरने तथा निचली अदालतों में वर्षों से रेंगते ट्रायल को रफ्तार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने तीन बड़े आदेश दिए। इसमें सुप्रीम कोर्ट के साथ ही हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियमित नियुक्ति की समय सीमा तय की गई है, हाईकोर्ट में लगे मुकदमों के ढेर को समेटने के लिए सेवानिवृत न्यायाधीशों को अस्थायी तौर पर जज नियुक्त करने और निचली अदालतों में चल रहे ट्रायल को रफ्तार देने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं।

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तीनों ही फैसले सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की अलग-अलग पीठ ने सुनाए 

तीनों ही फैसले प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की अलग-अलग पीठ ने सुनाए हैं। दो पीठों में तीनों न्यायाधीश समान थे जबकि एक पीठ में प्रधान न्यायाधीश के अलावा दो न्यायाधीश अन्य थे। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 224ए में सेवानिवृत न्यायाधीशों को नियुक्त करने के प्रावधान को वास्तविक बनाने और ऐसी नियुक्तियों को लेकर होने वाले संशयों को दूर करते हुए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं।

हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशों को किसी भी हाई कोर्ट में अस्थायी नियुक्त किया जा सकता है

हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशों को किसी भी हाई कोर्ट में लंबित मुकदमों के बोझ को देखते हुए दो से तीन वर्ष के लिए अस्थायी (एडहाक) न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि न्यायाधीशों की एडहाक नियुक्ति, नियमित नियुक्ति का विकल्प नहीं हो सकती है।

शीर्ष अदालत ने एडहाक जजों की नियुक्ति की शर्तें और वेतन-भत्ते भी तय किए

शीर्ष अदालत ने एडहाक जजों की नियुक्ति की शर्तें, तौर तरीके और वेतन-भत्ते भी तय किए हैं। एडहाक जज पुराने मामलों विशेषषकर पांच साल या उससे ज्यादा पुराने मुकदमों की सुनवाई करेंगे। हालांकि, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को किसी विशेषष प्रकार के केस या पांच साल से कम पुराने मुकदमे भी एडहाक जज को देने का अधिकार होगा।

सिफारिशों पर जल्द हो सकेगा फैसला

दूसरे अहम फैसले में कोर्ट ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशें सरकार के पास अनिश्चित समय तक लटकी रहने की समस्या का निराकरण किया है। इसके लिए कोर्ट ने नियमित नियुक्ति के पहले तय नियमों में दी गई टाइम लाइन का पालन करने के अलावा कुछ और चीजों की समय सीमा तय की है। कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट कोलेजियम द्वारा सरकार को नियुक्ति की सिफारिश भेजे जाने के 4 से 6 सप्ताह के भीतर इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) अपनी रिपोर्ट दे देगी। केंद्र सरकार नियुक्ति के बारे में राज्य सरकार का नजरिया और आइबी रिपोर्ट प्राप्त होने के 8 से 12 सप्ताह के भीतर फाइल सुप्रीम कोर्ट को भेज देगी। सरकार सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश प्राप्त होने के बाद नियुक्त प्रक्रिया शुरू करेगी और अगर सरकार को नियुक्ति के बारे में कोई सोच विचार है तो वह कारण सहित उसे वापस विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को भेज सकती है, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार की ओर से भेजे गए इनपुट को देखने और विचार करने के बाद दोबारा सर्वसम्मति से अपनी सिफारिश पर मुहर लगा कर भेज दी तो सरकार को तीन से चार सप्ताह के भीतर न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी होगी।


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