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जस्टिस जोसेफ के नाम पर नहीं झुका कोलेजियम, फिर बने टकराव के आसार

इस बैठक में उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ का नाम दोबारा भेजने पर सहमति बनी। लगभग एक घंटे चली बैठक में ये फैसला लिया गया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 06:33 AM (IST)
जस्टिस जोसेफ के नाम पर नहीं झुका कोलेजियम, फिर बने टकराव के आसार
जस्टिस जोसेफ के नाम पर नहीं झुका कोलेजियम, फिर बने टकराव के आसार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव तय नजर आ रहा है। सरकार की ओर से पुनर्विचार के लिए वापस किए गए उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ के नाम को ही कोलेजियम फिर से सरकार के पास भेजेगा। जाहिर है कि अब सरकार के पास उसे वापस करने का रास्ता नहीं होगा। लेकिन सरकार कब हरी झंडी दे इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं है।

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कोलेजियम की करीब एक घंटे चली बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी विवरण में स्पष्ट कहा गया कि जोसेफ के नाम पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। दोबारा 16 मई को बैठक होगी जिसमें अन्य चार नामों पर भी विचार होगा। सभी नाम साथ ही भेजे जाएंगे। सरकार की ओर से नाम वापस किए जाते वक्त अलग-अलग राज्यों के लिए प्रतिनिधित्व और वरिष्ठता का हवाला दिया गया था।

सरकार से वापस आए मामले पर पुनर्विचार के लिए कोलेजियम की दो मई को बैठक हुई थी, लेकिन बिना किसी निष्कर्ष के मामला आगे के लिए टाल दिया गया था। जस्टिस चेलमेश्वर ने नौ मई को प्रधान न्यायाधीश और कोलेजियम के सदस्य साथी तीन जजों को भेजे पत्र में भी जोसेफ का नाम दोहराने की बात कही थी।कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के अलावा सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी. लोकुर और कुरियन जोसेफ सदस्य हैं। केएम जोसफ का नाम दोबारा सरकार को भेजे जाने पर पर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा सहित कोलेजियम के सभी पांच सदस्य सैद्धांतिक तौर पर सहमत थे।

सरकार को जोसेफ के नाम पर आपत्ति जस्टिस जोसेफ ऑल इंडिया सीनियरिटी में 42वें नंबर पर और हाई कोर्ट चीफ जस्टिस सीनियरिटी में 11वें नंबर पर हैं। इसके अलावा वह केरल से आते हैं और केरल का पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। सरकार ने कहा था कि कोलेजियम को उन राज्यों के बारे में विचार करना चाहिए जिनका सुप्रीम कोर्ट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इस बारे में कानून मंत्री ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को 26 और 30 अप्रैल को पत्र भेजे थे जिनमें ये बातें कही गई थीं।

इसके बाद कोलेजियम ने दो मई की बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कलकत्ता, राजस्थान और तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने पर विचार को भी एजेंडे में शामिल किया था। इन हाई कोर्टो के न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने पर विचार के लिए ही फिलहाल जोसेफ के नाम पर फैसला टाला गया है।

गोपाल सुब्रमणियम ने सहमति ले ली थी वापसवैसे हालिया इतिहास पर नजर डालें तो गोपाल सुब्रमणियम को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की कोलेजियम की सिफारिश भी सरकार ने पुनर्विचार के लिए वापस कर दी थी। उस मामले में नौबत उसके आगे नहीं आने पाई थी। सरकार से सिफारिश वापस आने की खबरों के साथ ही सुब्रमणियम ने जज बनने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली थी।

ये जज हैं सुप्रीम कोर्ट की रेस में

सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नति के लिए जस्टिस जोसेफ के अलावा मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी और कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी भी रेस में हैं।
 


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