फिल्म नानक शाह फकीर की रिलीज को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी
फिल्म नानक शाह फकीर 13 अप्रैल को रिलीज होनी है। लेकिन एसजीपीसी और अन्य सिख संस्थाएं फिल्म का विरोध कर रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फिल्म नानक शाह फकीर की रिलीज पर चल रहा असमंजस दूर हो गया है। फिल्म तय तिथि पर ही रिलीज होगी। सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि जब सेंसर बोर्ड फिल्म के प्रदर्शन का प्रमाणपत्र दे चुका है तो फिर उसके बाद कोई व्यक्ति या संस्था उसके प्रदर्शन में कैसे बाधा डाल सकती है। कोर्ट ने संबंधित राज्यों और जिम्मेदार अथारिटीज को आदेश दिया है कि वे फिल्म रिलीज के दौरान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करें।
फिल्म नानक शाह फकीर 13 अप्रैल को रिलीज होनी है। लेकिन एसजीपीसी और अन्य सिख संस्थाएं फिल्म का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि फिल्म में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव के परिवार के सदस्यों की भूमिका प्रोफेशनल कलाकारों ने निभाई है जो कि सिख धर्म की मर्यादा के खिलाफ है। फिल्म के निर्माता हरिंदर सिंह सिक्का ने अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने की मांग की है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सिक्का की याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त अंतरिम आदेश जारी किये। इसके अलावा कोर्ट ने याचिका पर प्रतिपक्षियों को नोटिस जारी करते हुए मामले को 8 मई को फिर सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने आदेश में एक बार फिर व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म के प्रदर्शन का प्रमाणपत्र दिये जाने के बाद आखिर कोई व्यक्ति या संस्था उसके प्रर्दशन में बाधा कैसे पहुंचा सकती है। वे लोग अपने बनाए कानून पर चलेंगे, क्या वे देश के कानून का सम्मान नहीं करेंगे।
कोर्ट ने कहा कि जब सेंसर बोर्ड ने प्रमाणपत्र दे दिया है तो जबतक कोई उससे उच्च अथारिटी उस प्रमाणपत्र को रद या निरस्त नहीं कर देती तब तक फिल्म के निर्माता और वितरक को फिल्म का सिनेमा हाल में प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है। इसमें बाधा डालने की गतिविधियों को अगर बढावा दिया गया तो अराजकता की स्थिति आ जाएगी और अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार बाधित होगा। ये किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है कि कुछ ग्रुप, संस्था या व्यक्ति स्वयं को अथारिटी मान लें और फिल्म का प्रर्दशन न होनें दें।
कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर सभी संबंधित अथारिटी को आदेश दिया है कि वे फिल्म के प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि ये लोगों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण करना राज्य का दायित्व है। कहा कि इस आदेश की प्रति ईमेल के जरिये संबंधित अथारिटीज को पहुंचाई जा सकती है ताकि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकें।