विमान दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को 7.64 करोड़ का मुआवजा देने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 के हादसे में मारे गए एक 45 साल के व्यक्ति के परिजनों को 7.64 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। दस साल पहले 22 मई, 2010 में दुबई से आई एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (Air India Express Flight 812) के मंगलुरु में लैंडिंग के वक्त हुए विमान हादसे में मारे गए एक 45 साल के व्यक्ति के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 7.64 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। इस विमान हादसे में कुल 166 यात्रियों में से 158 की मौत हो गई थी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि वह नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (National Consumer Disputes Redressal Commission, NCDRC) की इस दलील को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं कि वह मुआवजे की गणना में पीडि़त के वेतन को काट रही है। वेतन को दो खंडों में देने के नियोक्ता के पास कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके चलते आय में कटौती दिखाकर मुआवजा कम देने की कोई दलील स्वीकार नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि मृतक महेंद्र कोडकेनी कंपनी के स्थाई कर्मचारी थे। इसलिए उनकी असमय मृत्यु पर उनके परिवार को पूरा हर्जाना मिलना ही चाहिए।
महेंद्र कोडकेनी के परिजनों में उनकी पत्नी, बेटी और बेटा शामिल हैं। इन परिजनों को पहले नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) ने मुआवजे के तौर पर 7.35 करोड़ रुपये की धनराशि देने का एलान किया था। लेकिन अब उन्हें इस राशि पर सालाना नौ फीसद की दर से ब्याज भी देना होगा। यह राशि अभी भी बकाया है। मुआवजा राशि एयर इंडिया को चुकानी है। विमान हादसे के समय कोडकेनी यूएई की एक कंपनी के पश्चिम एशिया क्षेत्र के रीजनल डायरेक्टर थे।
साल 2010 में मेंगलुरु हवाई अड्डे पर हुए इस विमान हादसे में रनवे पर उतरते हुए विमान अनियंत्रित होकर रनवे से भी आगे बढ़ता चला गया और आगे जाकर पहाड़ी से नीचे एक गहरी खाई में गिर गया था। विमान में तब भीषण विस्फोट हुआ और हादसे में डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए थे।