सुप्रीम कोर्ट ने 358 लौह अयस्क खदानों की खनन लीज पर केंद्र से मांगा जवाब
खदानों के लीज विस्तार व आवंटन पर रोक लगाने के लिए दाखिल की गई है याचिका
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क खदानों को लेकर दाखिल एक याचिका पर मंगलवार को केंद्र से जवाब मांगा। इसमें बिना किसी ताजा मूल्यांकन के देश भर की 358 से अधिक लौह अयस्क खदानों का आवंटन या लीज अवधि बढ़ाने का आरोप लगाते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका में सीबीआइ को रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।
जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर की पीठ ने अधिवक्ता मनोहरलाल शर्मा की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। पीठ ने इस मामले में कोर्ट की मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
याचिका के अनुसार, इस साल फरवरी में जानकारी हुई कि 288 खदानों की लीज अवधि 'मोटा चंदा' लेकर बढ़ा दी गई है। इसकी वजह से राजस्व को चार लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें दावा किया गया है कि देश में 358 लौह अयस्क खदानों में खनन के लिए कंपनियों को नए सिरे से मूल्याकंन या नीलामी की प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही लीज पर दे दी गईं या उनकी अवधि बढ़ा दी गई। याचिका में कानूनन इन खदानों से खनन की गई सामग्री की बाजार कीमत वसूलने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। साथ ही इन खनिज खदानों की लीज अवधि बढ़ाने और आवंटन की न्यायालय की निगरानी में जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है।
आरोप लगाया गया है कि इस तरह के आवंटन से सार्वजनिक राजस्व को भारी नुकसान हुआ है। याचिका में खदान और खनिज (विकास एवं नियमन) कानून की धारा 8ए को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। धारा 8ए में प्रावधान है कि सभी खदानों के लिए 50 साल की अवधि के लिए लीज दी जाएगी और यह अवधि समाप्त होने पर इस कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार खदानों की नीलामी की जानी चाहिए। इस याचिका में कानून मंत्रालय, खदान एवं खनिज मंत्रालय तथा सीबीआइ के साथ ओडिशा और कर्नाटक सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।