पटाखों से ही नहीं ऑटोमोबाइल्स से भी होता है ज्यादा प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से पटाखों और ऑटोमोबाइल के कारण होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए कहा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से पटाखों और ऑटोमोबाइल के कारण होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए कहा है। कोर्ट ने साथ ही कहा है कि जबकि ऑटोमोबाइल से ज्यादा प्रदूषण होता है फिर लोग पटाखों पर ही बैन की मांग क्यों कर रहे हैं।
कोर्ट ने पटाखों से होनेवाले प्रदूषण संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पटाखे ही प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं हैं। कार और ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक मात्रा में वातावरण को प्रदूषित करते हैं। कोर्ट ने पटाखा कारखानों में बेरोजगार श्रमिकों की स्थिति को लेकर भी सवाल पूछा। शीर्ष कोर्ट ने कहा, 'पटाखा कारखानों में बेरोजगार श्रमिकों के अधिकारों के बारे में क्या स्थिति है? हम उन्हें भूखा नहीं छोड़ सकते। हम नहीं चाहते कि बेरोजगारी बढ़े। अगर पटाखा का व्यवसाय कानूनी है और बेचने वाले के पास लाइसेंस है तो आप इसे कैसे रोक सकते हैं?'
शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को तय की है। गौरतलब है कि पटाखों पर पिछले साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से बैन लगाने से मना कर दिया था, हालांकि कोर्ट ने कुछ प्रतिबंध जरूर लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने आदेश में कहा था कि पटाखों को केवल लाइसेंस पाए व्यवसायी ही बेच सकते हैं। मालूम हो कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ग्रीन पटाखे ही चलाने के आदेश दिए थे। इसके लिए संबंधित थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आम पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने के बाद भी गली-मोहल्ले से लेकर कई बाजार में चोरी-छिपे पटाखा बिकते रहे।