Supreme Court on Farm Laws: मामला कोर्ट में है तो प्रदर्शन क्यों, सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत से सवाल किया कि जब मामला विचाराधीन है तो विरोध प्रदर्शन क्यों? कानूनों पर रोक लगी हुई है और कानून लागू नहीं हैं तो फिर विरोध प्रदर्शन किसलिए? क्या आप सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को अदालत में चुनौती दिए जाने के बावजूद किसान संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी रखने पर सवाल उठाते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत से सवाल किया कि जब मामला विचाराधीन है तो विरोध प्रदर्शन क्यों? कानूनों पर रोक लगी हुई है और कानून लागू नहीं हैं तो फिर विरोध प्रदर्शन किसलिए? क्या आप सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांग रही किसान महापंचायत से कहा कि कोर्ट पहले इस कानूनी सवाल पर विचार करेगा कि क्या विरोध प्रदर्शन का अधिकार पूर्ण अधिकार है? जब किसी मामले में संवैधानिक अदालत में याचिका दाखिल कर कानूनी राहत मांगी गई हो तो क्या उसी विषय पर विरोध प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है? जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने विचार के लिए कानूनी प्रश्न तय करते हुए मामले को 21 अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है।
किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट से जंतर-मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगी है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने संगठन से विरोध प्रदर्शन में शामिल न होने और राजमार्ग बाधित नहीं किए जाने पर हलफनामा मांगा था। सोमवार को संगठन की ओर से दाखिल हलफनामे में साफ किया गया कि संगठन न तो कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन में शामिल है और न ही उसने सड़क बाधित कर रखी है।
जस्टिस खानविलकर की पीठ ने हलफनामा देख कर वकील से कहा कि जब आपने राजस्थान हाई कोर्ट में कृषि कानूनों की वैधानिकता को चुनौती दे रखी है तो फिर अब विरोध प्रदर्शन क्यों? आपने कानून को कोर्ट में चुनौती देकर अपनी फोरम चुन ली है तो उसी विषय पर विरोध प्रदर्शन का क्या मतलब है?
जल्द सुनवाई का आग्रह करते तो एक बात थी
सुप्रीम कोर्ट (किसान महापंचायत के वकील से) : अगर आप केस पर जल्दी सुनवाई का आग्रह करते तो एक बात थी, लेकिन आप विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे हैं।
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता : जब मामला सबसे बड़ी संवैधानिक अदालत के समक्ष लंबित हो तो उस मुद्दे पर कोई भी विरोध सड़क पर नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट : हमें बताया गया है कि कृषि कानूनों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली और भी याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं। ऐसे में रजिस्ट्री प्रधान न्यायाधीश से उचित निर्देश लेगी।
अटार्नी जनरल से कानूनी मुद्दे पर सुनवाई में मदद करने का आग्रह
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस मुद्दे पर सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया। साथ ही कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित संगठन की याचिका सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर ली। कोर्ट ने सरकार को दोनों याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने की छूट देते हुए मामले को 21 अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है।
लखीमपुर खीरी की घटना पर पीठ ने कहा, इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में लखीमपुर खीरी की रविवार की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं होनी चाहिए थी। पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता।
राजमार्ग खुलवाने के मामले में 43 किसान संगठनों के नेताओं को नोटिस
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के कारण उत्तर प्रदेश और हरियाणा को दिल्ली से जोड़ने वाले बंद राजमार्गो को खुलवाने के मामले में राकेश टिकैत सहित 43 आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 43 किसान संगठनों के नेताओं और पदाधिकारियों को पक्षकार बनाने की मांग की है, जिनमें राकेश टिकैत, दर्शन पाल, हन्नान मुल्ला, योगेंद्र यादव आदि शामिल हैं।
पीठ ने हरियाणा की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आपने 43 किसान संगठनों को पक्षकार बनाया है। मेहता ने कहा कि इन संगठनों को पक्षकार बनाया जाना जरूरी है। सरकार ने राज्य स्तरीय कमेटी गठित की है। कमेटी ने समस्या के हल के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन किसान संगठन बैठक में नहीं आए। इसलिए इन्हें पक्षकार बनाकर नोटिस जारी किया जाए, ताकि बाद में वे यह न कह सकें कि वे कोर्ट के सामने नहीं हैं।