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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, गरीबों को आरक्षण में आठ लाख वार्षिक आय सीमा का क्या है आधार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से फिर पूछा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण की पात्रता के लिए आठ लाख की सीमा तय करने का क्या आधार है। कोर्ट ने हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट न किए जाने पर नाराजगी जताई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 09:20 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 09:20 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, गरीबों को आरक्षण में आठ लाख वार्षिक आय सीमा का क्या है आधार
मेडिकल पाठ्यक्रम की परीक्षा नीट के आल इंडिया कोटा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से फिर पूछा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण की पात्रता के लिए आठ लाख की सीमा तय करने का क्या आधार है। कोर्ट ने आदेश के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा इस बारे में हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट न किए जाने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार उच्च स्तरीय नीति बनाना चाहती है तो पहले उस पर विचार करे फिर उसे करे। कोर्ट ने सरकार से इस बारे में कई सवाल पूछे। सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए थोड़ा समय मांगते हुए कहा कि ड्राफ्ट तैयार है दो तीन दिन में हलफनामा दाखिल कर दिया जाएगा। कोर्ट मामले पर 28 अक्टूबर को फिर सुनवाई करेगा।

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सरकार के हलफनामा दाखिल न करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मेडिकल पाठ्यक्रम की परीक्षा नीट के आल इंडिया कोटे में इस वर्ष से ओबीसी को 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर भी कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आठ लाख सालाना आय की सीमा किस आधार पर तय की गई है।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी केएम नटराज ने कहा कि सरकार ने सिन्हो कमीशन की रिपोर्ट पर विचार किया था। पीठ ने कहा कि सिन्हो आयोग ने तो कहा था कि बीपीएल आय वाली और टैक्स स्लैब से नीचे आने वाले सभी परिवार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में होने चाहिए ऐसे में सरकार ये कैसे कह सकती है कि आठ लाख आय की सीमा सिन्हो आयोग की रिपोर्ट के आधार पर है।

कोर्ट ने पूछा, सिन्हो कमीशन की रिपोर्ट का आधार क्या है

एएसजी ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और इसका ज्यादा ब्योरा नहीं दिया जा सकता। मुझे बताया गया है कि सिन्हो आयोग की रिपोर्ट इसका आधार है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर सवाल किया लेकिन इसके लिए आपने क्या प्रक्रिया अपनाई। इसके लिए आपके पास कुछ जनसांख्यकी, सामाजिक या सामाजिक आर्थिक आंकड़े होने चाहिए। आप अचानक हवा में आठ लाख की सीमा नहीं तय कर सकते। आप सिर्फ पिछड़ा वर्ग के साथ बराबरी की दलील दे रहे हैं। लेकिन सिर्फ आर्थिक आधार पर गंभीर संवैधानिक बाधा है। आप आठ लाख की सीमा तय करके असमान को समानता पर ला रहे हैं।

सरकार ने कहा ड्राफ्ट तैयार, दो तीन दिन में दाखिल कर देंगे हलफनामा

कोर्ट ने आपको इस बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था आपको इस गंभीर मामले में हलफनामा दाखिल करना चाहिए था। एएसजी ने कहा कि हलफनामा लगभग तैयार है दो तीन दिन में दाखिल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में ओबीसी और और ईडब्ल्यूएस के लिए एक समान आर्थिक सीमा तय करना मनमाना होगा। सीमा तय करते समय ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की खरीद क्षमता को क्या ध्यान में रखा गया था। सरकार को कोर्ट के समक्ष पूरा ब्योरा रखना चाहिए था।


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