सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या सुबह पांच बजे निकाला जा सकता है जुलूस
नांदेड़ गुरुद्वारा की याचिका पर महाराष्ट्र से मांगी जानकारी। राज्य सरकार कोरोना काल में धार्मिक आयोजन के पक्ष में नहीं। महाराष्ट्र सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि राज्य और नांदेड़ में कोरोना के हालात को देखते हुए दशहरा जुलूस को मंजूरी देना उचित नहीं होगा।
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या नांदेड़ गुरुद्वारा को सुबह पांच बजे सीमित लोगों के साथ दशहरा का जुलूस निकालने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही अदालत ने गुरुद्वारा प्रबंध समिति को मंजूरी के लिए मंगलवार तक महाराष्ट्र के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के पास भी जाने को कहा है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि जमीनी हकीकत के आधार पर ही कोई फैसला किया जा सकता है। अगर समिति को एसडीएमए का फैसला मंजूर न हो तो वह बांबे हाई कोर्ट जा सकती है।
महाराष्ट्र सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि राज्य और नांदेड़ में कोरोना के हालात को देखते हुए दशहरा जुलूस को मंजूरी देना उचित नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो दूसरे संगठन भी धार्मिक आयोजन की अनुमति मांगेंगे। सुनवाई के दौरान समिति ने नियमों के तहत सीमित संख्या में जुलूस निकालने की बात कही। इस पर पीठ ने पूछा कि अगर जुलूस के दौरान भीड़ बढ़ जाए तो कौन उसे रोकेगा।
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि प्रबंध समिति से सीमित संख्या में सुबह सात से नौ बजे के बीच जुलूस निकालने को कहा जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा कि क्या जगन्नाथ पुरी की तरह यहां एक से दो घंटे के लिए कफ्र्यू लगाया जा सकता है। क्या सुबह चार से पांच बजे के बीच जुलूस नहीं निकाला जा सकता।