सुप्रीम कोर्ट ने असम के अभिरक्षा केंद्रों में मौजूद विदेशियों का मांगा ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से असम के अभिरक्षा केंद्रों में मौजद विदेशियों का ब्योरा मांगा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से असम के अभिरक्षा केंद्रों में मौजद विदेशियों का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर साल दर साल कुल 10 सालों का ब्योरा देने को कहा है। कोर्ट मामले पर 19 फरवरी को फिर सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते सरकार से कहा है कि सक्षम अथारिटी तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर बताए कि असम में कुल कितना अभिरक्षा केंद्र हैं और उनमें कितने लोग निरुद्ध हैं। कब से ये लोग डिटेंशन सेंटर में हैं।
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या अभिरक्षा केंद्रों में सभी विदेशी घोषित हो चुके हैं या उनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके मामले फारेनर्स ट्रिब्यूनल में विचाराधीन हैं। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि दस साल का साल दर साल ब्योरा देकर बताओ कि कितने लोगों को फारेनर्स ट्रिब्युनल ने विदेशी घोषित कर दिया है। जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है उनमें से कितने लोगों को वापस भेजने की कोशिश की गई थी और उसका नतीजा क्या रहा।
इससे पहले कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि विदेशियों को वापस लेने के लिए पड़ोसियों से कहा जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि जिन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया है उन्हें हमेशा अभिरक्षा केंद्र में ही रखा जाए। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करने के लिए समय मांगते हुए कहा कि अभी असम में छह अभिरक्षा केंद्र हैं।
दूसरी तरफ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि लोग लंबे समय से अभिरक्षा केंद्र में रह रहे हैं। भूषण ने कहा कि उन लोगों को निश्चित शर्ते लगा कर शरणार्थी का दर्जा देकर अभिरक्षा केंद्र से रिहा किया जाना चाहिए।