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सुप्रीम कोर्ट ने दी जजों के तलाक को मंजूरी

फैसले में पीठ ने यह माना कि दोनों के एक साथ रहने का अब कोई आधार नहीं है, लिहाजा उनके तलाक को मंजूर किया जाता है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 10 Oct 2017 09:35 PM (IST)Updated: Tue, 10 Oct 2017 09:35 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने दी जजों के तलाक को मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने दी जजों के तलाक को मंजूरी

नई दिल्ली, प्रेट्र। अपने तरह के एक अनूठे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो जजों के तलाक को मंजूरी दे दी। इसके लिए अदालत ने संविधान की धारा 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। फैसले में पीठ ने यह माना कि दोनों के एक साथ रहने का अब कोई आधार नहीं है, लिहाजा उनके तलाक को मंजूर किया जाता है।

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मामले के अनुसार निचली अदालत में कार्यरत दोनों जजों का विवाह 1992 में हुआ था। एक साल बाद उनके घर में बेटी का जन्म हुआ, लेकिन 2000 में दोनों अलग हो गए। पति ने 2005 में निचली अदालत में तलाक के लिए याचिका दायर की। उसका आरोप था कि पत्नी का व्यवहार गलत है और वह उसके पिता का भी सम्मान नहीं करती। वह उससे दूर चली गई और बच्चे को भी साथ ले गई।

पत्नी ने आरोपों का खंडन करते हुए याचिका खारिज करने की मांग की। 2009 में जिला अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया। 2012 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। पति ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। जस्टिस एल नागेश्वर राव व एसए बाब्दे की पीठ ने कहा कि दंपती 17 साल से एक दूसरे से अलग रहे हैं। अब उनके साथ रहने की तुक दिखाई नहीं दे रही। दोनों पक्षों को एक साथ रहने के लिए बाध्य करना भी पूरी तरह से गलत होगा। पीठ ने यह भी माना कि पत्नी न तो पति को तलाक दे रही है और न ही उसके साथ रहने को राजी हो रही है। वह सुनवाई के दौरान भी उपस्थिति नहीं हुई। यह एक तरह से पति के खिलाफ क्रूर रवैया है।

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