पशुओं में कृत्रिम उत्पादन तकनीक मामले की सुनवाई को राजी हुआ सुप्रीम कोर्ट
याचिका दायर कर इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया--अदालत ने कहा वह बाद में याचिकाकर्ता को दीवानी मुकदमे में शामिल कर सकती है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पशुओं में कृत्रिम उत्पादन तकनीक रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि पशुओं पर कृत्रिम उत्पादन तकनीक का इस्तेमाल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने शुरू में यह कहते हुए मामले की सुनवाई करने से इन्कार कर दिया कि वह विज्ञान का विशेषज्ञ नहीं है। लेकिन, बाद में सुनवाई के लिए तैयार हो गई।
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मुद्दे पर वे साक्ष्य क्यों नहीं दे रहे? हम वैज्ञानिक अदालत नहीं हैं। आपको अपनी बात विज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर साबित करनी चाहिए।याचिकाकर्ता डॉ एस वेंकटेश ने अदालत से कहा कि कृत्रिम उत्पादन तकनीक पशुओं के लिए पीड़ादायक है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, लेकिन प्रसव की प्रक्रिया भी पीड़ादायक होती है। वह मानक लागू नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि वह बाद में याचिकाकर्ता को दीवानी मुकदमे में शामिल कर सकती है।
याचिका पर सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि अर्ध न्यायिक मामलों और पारित किए गए आदेशों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होगी। हालांकि, सच्ची और निष्पक्ष रिपोर्टिग की जा सकेगी। इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता सुभाष विजयन से अपनी याचिका वापस लेने को कहा। पीठ ने कहा कि अदालत ऐसा आदेश नहीं दे सकती। इसके बाद विजयन ने अपनी याचिका वापस ले ली। याचिका में उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अपने खिलाफ होने वाले हमलों का बचाव नहीं कर सकते। वे राजनीतिज्ञ नहीं हैं।
खास बात- अदालत ने शुरू में यह कहते हुए मामले की सुनवाई करने से इन्कार कर दिया कि वह विज्ञान का विशेषज्ञ नहीं है। लेकिन, बाद में सुनवाई के लिए तैयार हो गई।