सुप्रीम कोर्ट ने माना, चुनाव में झूठा शपथ पत्र देना भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में
शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव में नामांकन पत्र भरने के साथ दाखिल होने वाला शपथ पत्र सही तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किया जाने वाला शपथ पत्र कई बार गलत सूचनाओं पर आधारित होता है। यह भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। लेकिन चुनाव लड़कर जीते ऐसे प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित करने के बारे में वह संसद को आदेश नहीं दे सकता।
शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव में नामांकन पत्र भरने के साथ दाखिल होने वाला शपथ पत्र सही तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। वह इस बात से सहमत है। यह गंभीर मसला है। लेकिन वह इस बारे में विधायिका को किसी तरह का निर्देश नहीं दे सकती।
जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि नैतिक आधार पर झूठी जानकारियों का शपथ पत्र देना गलत है। पीठ ने मामले पर आई सभी याचिकाओं को समाहित कर उनकी एकसाथ सुनवाई का फैसला किया है। भाजपा नेता व अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने इस मामले में केंद्र सरकार को निर्देशित करने वाले आदेश जारी करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी ने गलत तथ्यों वाला शपथ पत्र देने वाले उम्मीदवार के लिए दो साल की सजा का प्रावधान करने की मांग की है।