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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अनुरोध पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुनवाई 15 नवंबर तक टाली

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुनवाई को आगे के लिए टाला गया है। यूपी की ओर से पेश वकील ने सोमवार तक का समय मांगा था। कोर्ट ने इसे मान लिया। सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सरकार को जांच प्रक्रिया को लेकर हलफनामा दायर करना था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 11:42 AM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 01:01 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अनुरोध पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुनवाई 15 नवंबर तक टाली
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए टाली

नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में आज होने वाली सुनवाई को टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अगली सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे सोमवार यानी 15 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुनवाई को आगे के लिए टाला गया है। यूपी की ओर से पेश वकील ने सोमवार तक का समय मांगा था। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में SIT की जांच पर असंतोष जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि क्यों न इस कांड की जांच राज्य के बाहर के किसी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाई जाए। निगरानी के लिए पंजाब हरियाणा HC के रिटायर्ड जज की नियुक्ति की बात कही थी। आज यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने समय का अनुरोध किया। कोर्ट ने इसे मान लिया। सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सरकार को जांच प्रक्रिया को लेकर हलफनामा दायर करना था।

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वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में सोमवार तक के लिए समय देने का अनुराध किया था, जिसको कोर्ट ने किया। बता दें कि ये मामला लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा का है, जिसमें किसानों के विरोध के दौरान चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र उर्फ टेनी के बेटे आशीष मिश्र सहित 13 लोग इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। फोरेंसिक लैब (एफएसएल) की रिपोर्ट में मंत्री पुत्र के हथियार से फायरिंग किए जाने की पुष्टि भी हो चुकी है।

3 अक्टूबर को काफी सारे किसान सड़क पर चल रहे थे, इतने में पीछे से मंत्री के बेटा का काफिला आया और किसानों को रौंद दिया, इसमें 4 किसान मारे गए। फिर गुस्से में किसानों ने भी गाड़ी में मौजूद लोगों को मारा और उसमें तीन लोग मारे गए। इस दौरान एक पत्रकार भी मारा गया। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो, सबसे अधिक बार यूपी सरकार के एक्शन पर ही सवाल उठे। सबसे पहले तो मंत्री के बेटे को गिरफ्तार करने में ही काफी समय लग गया फिर गवाहों के बयान और पत्रकार के मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया। आज फिर जब यूपी सरकार को अपना पक्ष रखना था तो सुनवाई को आगे के लिए टालने का अनुरोध कर दिया गया।


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