Move to Jagran APP

छत्तीसगढ़ में सुपर शेषनाग ने पहली बार 16 हजार टन कोयला लेकर 280 किमी लगाई दौड़

तीन लोड मालगाड़ी को बाहुबली कहते हैं। चार एमटी रैक जोड़कर शेषनाग मालगाड़ी बनती है। अब कोयले से भरी चार मालगाड़ियों की एक ट्रेन को सुपर शेषनाग का नाम दिया गया है। यह अपने तरह का पहला प्रयोग था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 08:29 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 08:29 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में सुपर शेषनाग ने पहली बार 16 हजार टन कोयला लेकर 280 किमी लगाई दौड़
सुपर शेषनाग ने पहली बार 16 हजार टन कोयला लेकर 280 किमी लगाई दौड़।

विकास पांडेय/कोरबा। चार मालगाड़ियों में 16 हजार टन (700 ट्रक के बराबर) कोयला लोड कर सुपर शेषनाग ने कोरबा से भिलाई के बीच 280 किलोमीटर की दौड़ लगाई है। करीब ढाई किलोमीटर लंबी इस मालगाड़ी में डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (डीपीडब्ल्यूसीएस) का उपयोग किया गया, जिसमें लीडिंग पावर (सामने का इंजन) जीपीएस के माध्यम से पीछे लगे तीनों इंजन से लिंक रहा।

prime article banner

सुपर शेषनाग के रूप में पहली बार चार रैक की लोडेड मालगाड़ी चलाई गई

सुपर शेषनाग के रूप में पहली बार चार रैक की लोडेड मालगाड़ी चलाई गई। इसमें दो की लोडिंग दीपका, एक जूनाडीह व एक कुसमुंडा से की गई। कोयले से भरी चार रैक कोरबा स्टेशन के यार्ड में जोड़ी गई। लोड रैक में भार अचानक बढ़ जाता है। इसमें वैगन के बीच कप¨लग के टूटने का डर बना रहता है। इसे देखते हुए मालगाड़ियों में डीपीडब्ल्यूसीएस प्रयुक्त किया गया। इस सिस्टम से लीडिंग पावर से अन्य इंजनों को जोड़ने में आसानी होती है।

सुपर शेषनाग से कोयला बिजली संयंत्रों को भेजा गया

सभी लोड रैक सुपर शेषनाग बनकर अलग-अलग क्षेत्र के बिजली संयंत्रों को भेजी गई हैं। इनमें एक नागपुर डिवीजन अंतर्गत जबलपुर के पास मोहदा एनटीपीसी, दूसरा गुजरात के संयंत्र टीपीएचएस व ईएसडब्ल्यूएस और एक रैक बीआरडी धानुरोड में भेजी गई।

पौने सात घंटे में हुआ कोयला डिस्पैच

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे कोरबा रेलखंड के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक मनीष अग्रवाल ने बताया कि सुपर शेषनाग को मंगलवार-बुधवार की रात 12: 25 बजे जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद 2: 25 बजे मालगाड़ी रवाना की गई, जो सुबह 9:15 बजे भिलाई पहुंच गई। इस तरह सात घंटे से भी कम समय में कुल 280 किलोमीटर की दूरी तय की गई।

अब तक दो बार चली शेषनाग

अब तक दो बार चली शेषनाग, एक बार बाहुबली एमटी मालगाड़ी दो बार जोड़ी जा चुकी है। पहली बार एक दो जुलाई को नागपुर से आई थी। दूसरी बार मंगलवार की रात भिलाई से कोरबा आई। दो खाली रैक को लांगहाल मालगाड़ी या पायथन कहा गया है। तीन खाली मालगाड़ियों को जोड़कर एनाकोंडा कहा गया। इसी तरह तीन लोड मालगाड़ी को बाहुबली कहते हैं। चार एमटी रैक जोड़कर शेषनाग मालगाड़ी बनती है। अब कोयले से भरी चार मालगाड़ियों की एक ट्रेन को सुपर शेषनाग का नाम दिया गया है। यह अपने तरह का पहला प्रयोग था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.