भारत को अंतरिक्ष में नई उड़ान देगा बीएचयू के वैज्ञानिकों द्वारा बनाया ‘सुपर फ्यूल स्टोरेज’
बीएचयू के पद्मश्री प्रो. ओएन श्रीवास्तव ने बताया कि हमने दुनिया का सबसे क्षमतावान कार्बन एरोजेल हाइड्रोजन स्टोरेज बनाने में सफलता पाई है। इससे रॉकेट की गति और क्षमता में बढ़ोतरी होगी। दावा है कि इसरो के मंगल और मानव मिशन में यह तकनीक अहम भूमिका निभाएगी।
हिमांशु अस्थाना, वाराणसी। बीएचयू ने इसरो के लिए दुनिया का सबसे क्षमतावान कार्बन एरोजेल हाइड्रोजन स्टोरेज विकसित कर दिखाया है। सरल भाषा में कहें तो सबसे उन्नत फ्यूल टैंक। किंतु टैंक की शक्ल में नहीं, वरन कार्बन एरोजेल के रूप में, जो रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले ईंधन (तरल हाइड्रोजन) को सोख कर स्टोर करेगा। इस तकनीक से अंतरिक्ष मिशन में लंबी दूरी के रॉकेट की गति और शक्ति में कई गुना वृद्धि होगी। दावा है कि इसरो के मंगल और मानव मिशन में यह तकनीक अहम भूमिका निभाएगी।
बीएचयू (बनारस हिंदू विवि) के एमिरेट्स प्रोफेसर व पद्मश्री से सम्मानित प्रो. ओएन श्रीवास्तव और युवा विज्ञानी अनंत प्रकाश पांडेय ने अपने इस अनुसंधान की जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से हुए करार के तहत इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया। दुनिया का सबसे क्षमतावान कार्बन एरोजेल हाइड्रोजन स्टोरेज बनाने में सफलता पाई है।
प्रो. श्रीवास्तव ने कहा, यह ट्राई इथाइल एमीन द्वारा तैयार एक कैटालाइज मैटेरियल है। अब इसका उपयोग पहली बार लंबी दूरी के रॉकेट (जियो सिंक्रोनस लांच व्हीकल) के क्रायोजेनिक इंजन में हो सकेगा। वह बताते हैं कि क्रायोजेनिक इंजन के ईंधन भंडारण में अब तक धातु के टैंक का उपयोग होता आया है, जिसमें हाइड्रोजन को तरल अवस्था में रखा जाता है। इससे रॉकेट का भार बढ़ने के साथ ईंधन भी कम स्टोर हो पाता है। वहीं, क्रायोजेनिक इंजन में तरल हाइड्रोजन के वाष्पोत्सर्जन की समस्या भी आती है, जबकि कार्बन एरोजेल से र्नििमत स्टोर तरल हाइड्रोजन को सोख लेता है और आवश्यकतानुरूप इसे ईंधन के रूप में उत्र्सिजत करता रहता है।
बीएचयू में देश का एकमात्र हाइड्रोजन सेंटर है, जो इस तरह के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय महत्व के शोध पर काम करता है। वहीं, अनंत प्रकाश पांडेय कहते हैं, इस स्टोरेज की क्षमता अंतरराष्ट्रीय स्तर से एक कदम आगे की है। दुनिया में पहली बार ट्राई इथाइल एमीन की मदद से सामान्य तापमान पर सुखाए गए कार्बन एरोजेल से ही इस हाइड्रोजन स्टोरेज को बना लिया गया है, जो कि बेहद किफायती और प्रभावी है। इस वर्ष की शुरुआत में प्रो. श्रीवास्तव और अनंत प्रकाश पांडेय ने इसरो को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसरो के 2021 के मानव मिशन के लिए भी इसी तकनीक को परखे जाने की संभावना है। कार्बन एरोजेल को दुनिया का सबसे हल्का पदार्थ भी कहा जाता है।
बीएचयू के पद्मश्री प्रो. ओएन श्रीवास्तव ने बताया कि हमने दुनिया का सबसे क्षमतावान कार्बन एरोजेल हाइड्रोजन स्टोरेज बनाने में सफलता पाई है। इससे रॉकेट की गति और क्षमता में बढ़ोतरी होगी।