मुंबईः नमाज के लिए दुकान देकर हिंदू व्यापारी ने पेश की एक मिसाल
दादरी घटना के बाद देश के सामने कई लोगों ने हिंदू-मुस्लिम की एकता का उदाहरण भी पेश किया हैं। इस उदाहरण को पेश करते हुएमुंबई के धारावी क्षेत्र में एक हिंदू समुदाएं के व्यापारी दिलीप केल ने मुस्लिम समुदाएं के लोगों को अपनी एक दुकान नमाज के लिए देकर देश
मुंबई। यूपी के ग्रेटर नोएडा में हाल ही के दिनों में हुए दादरी हत्याकांड से जहां एक ओर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई हैं, तो वहीं दूसरी ओर इस घटना पर देश के हर नागरिक ने दुख जताते हुए घटना का विरोध किया। इसके साथ ही देश में मौजूद हिंदू-मुस्लिम समुदाए के लोगों में एक-दूसरे के प्रति हीन भावनाएं भी देखने को मिली।
इस घटना के बाद देश के सामने कई लोगों ने हिंदू-मुस्लिम की एकता का उदाहरण भी पेश किया है। इस उदाहरण को पेश करते हुए कुछ दिनों पहले ही जहां एक ओर दादरी के बिसाहड़ा गांव में ही हिंदू समुदाए के लोगों ने साथ मिलकर रेशमा और जैतून का विवाह कराया था, तो वहीं अब मुंबई के धारावी क्षेत्र में एक हिंदू समुदाए के व्यापारी दिलीप केल ने मुस्लिम समुदाए के लोगों को अपनी एक दुकान नमाज के लिए देकर देश के सामने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल को पेश किया है।
इस बारे में मस्जिद के ट्रस्टी हाजी शौकत अली ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारी मस्जिद काफी छोटी और पुरानी थी, जिसके पुनर्निर्माण का काम मार्च से शुरू हो चुका था। लेकिन इस दौरान हमें नमाज पढ़ने के लिए कोई और जगह नहीं मिल पा रही थी। इस बारे में जैसे ही दिलीप केल को मालूम चला, तो उन्होंने अपनी एक दुकान को सही कराकर(जिसमें फर्श पर मार्बल,लाइट,फैन और नल लगवाना) उसे नमाज के लिए बिना किसी झिझक के देते हुए हमारी मदद की है।
इस बारे में दिलीप केल ने बताया कि वो लोग मेरे पास मदद के लिए आए थे और मेरे पास एक दुकान खाली पड़ी थी, तो मैंने उन्हें दे दी। इस पर आगे उन्होंने कहा कि आखिरकार, यह मेरे ही लोग है और हम पिछले 40 सालों से इसी जगह पर एक साथ रह रहे हैं। इसके अलावा जब तक मस्जिद पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक यह लोग इस जगह को फ्री में इस्तेमाल कर सकते हैं और मुझे नहीं लगता कि मैंने ऐसा करके कोई महान काम किया है।
मानवता की मिसाल है
इसको मानवता की मिसाल मानते हुए समुदाए के सदस्य अतिउल्लाह चौधरी ने बताया कि इन दिनों लोगों में एक-दूसरे के लिए हीन भावना पैदा हो गई है और कैसे एक चिंगारी की वजह से दंगों को जन्म दे दिया गया। तो वहीं केल ने यह महान काम करके शांतिपरस्त लोगों को करारा जवाब दिया है।
इसके अलावा हम इस काम को गंगा,यमुना और तहजीब का नाम देना चाहेंगे। जिस तरह गंगा और यमुना का मिलन हो सकता है उसी तरह शांति बनाए रखने के लिए हिंदू-मुस्लिम की संस्कृति का भी मिलन हो सकता है। इस जगह पर हमने रमजान और बकरईद जैसे त्योहारों को भी बढ़ी धूम-धाम से मनाया। इसके साथ ही हमने गणेश उत्सव में दिलीप केल की तैयारियों में मदद भी की,जिससे हमें बहुत ही खुशी महसूस हुई ।