राम जन्मभूमि विवादः मुस्लिम पक्षकारों की मांग, संविधान पीठ करे सुनवाई
मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन, कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे ने कहा कि धार्मिक आस्था के इस मामले से हर व्यक्ति जुड़ा है और ऐसे महत्वपूर्ण मुकदमे की सुनवाई संविधान पीठ को ही करनी चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों ने मंगलवार को अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई संविधान पीठ में किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मामला पूरे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले इस ऐतिहासिक मुकदमे की सुनवाई पांच या सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ में होनी चाहिए।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन, कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे ने कहा कि धार्मिक आस्था के इस मामले से हर व्यक्ति जुड़ा है और ऐसे महत्वपूर्ण मुकदमे की सुनवाई संविधान पीठ को ही करनी चाहिए। जैसे जस्टिस कर्रनन के मामले की सुनवाई के लिए वरिष्ठतम सात न्यायाधीशों की पीठ गठित हुई थी, वैसे ही इसमें भी होनी चाहिए। सिब्बल का साथ देते हुए राजीव धवन ने अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामले के इस्माइल फारुखी फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसमें पांच जजों ने कहा है कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मुसलमान कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं। यहां मुद्दा मस्जिद का है इसलिए अब पांच या सात जजों की पीठ को पहले यही मुद्दा तय करना चाहिए। इन दलीलों का विरोध करते हुए हिंदू पक्षकारों की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामला संविधान पीठ को जाए या न जाए, ये कोर्ट को तय करना चाहिए। किसी पक्षकार की मांग पर केस संविधान पीठ को नहीं भेजा जा सकता।
1950 का सूट है 2017 आ गया
रामलला के वकील के. पराशरन ने कहा कि 1950 में मुकदमा शुरू हुआ और 2017 आ गया अभी तक निपटारा नहीं हुआ। 1949 में कोर्ट ने मामले में यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए। जिसे बाद में इस कोर्ट तक ने जारी रखा हुआ है। इतना समय बीत चुका है अब सुनवाई होनी चाहिए। रामलला के दूसरे वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उनकी ओर से सारे दस्तावेज दाखिल कर दिए गए हैं और वह बहस के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
शिया बोर्ड ने कहा कि वह एक तिहाई हिस्सा छोड़ने को तैयार
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील एमसी धींगरा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अयोध्या जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुलहनामा दाखिल किया है जिसमें नौ हिंदू पक्षकारों के भी हस्ताक्षर हैं। धींगरा ने कहा कि शिया बोर्ड अयोध्या की जमीन के एक तिहाई हिस्से पर अपना हक छोड़ने को तैयार है। इन दलीलों पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि इस पर विचार तो तब हो जबकि अन्य पक्षकारों ने इसे स्वीकार किया हो। कोर्ट ने इस मामले में आगे कोई टिप्पणी किए बगैर मुख्य मामले में सुनवाई शुरू कर दी।
कारसेवकों पर गोली चलाने के मामले की सुनवाई टली
1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई टल गई। याचिका में यादव के 2014 के बयान को आधार बनाया गया है जिसमें उन्होंने मैनपुरी की एक जनसभा में कहा था कि पुलिस ने उनके आदेश पर 1990 में कारसेवकों पर गोली चलाई थी।
आठ फरवरी को बहस के लिए तैयार होकर आएं
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए वक्त देते हुए पक्षकारों से स्पष्ट कर दिया है कि वे अगली सुनवाई आठ फरवरी को बहस के लिए तैयार होकर कोर्ट आएं। उस दिन सुनवाई स्थगित नहीं की जाएगी। कोर्ट ने सभी वकीलों से कहा कि वे आपस में बैठ कर दस्तावेजों का आदान-प्रदान कर लें। रजिस्ट्री को कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर उसे किसी कारणवश केस सुनवाई के लिए तैयार न लगे तो वह मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष (एडमिनिस्ट्रेटिव साइड में) पेश करेगी ताकि प्रधान न्यायाधीश रिकॉर्ड पूरा होने के लिए तिथि तय करें।
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