सुदर्शन न्यूज का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- जकात फाउंडेशन का आतंकी संगठनों, जाकिर नाइक से संबंध
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में सुदर्शन न्यूज ने कहा है कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया आतंकी संगठनों से मदद लेकर समुदाय विशेष के युवकों की तैयारी कराता है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में सुदर्शन न्यूज ने कहा है कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया आतंकी संगठनों और उससे जुड़े व्यक्तियों से आर्थिक मदद लेकर उससे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं के लिए एक समुदाय विशेष के युवकों की तैयारी कराता है। उसके कार्यक्रम 'बिंदास बोल' के प्रसारण पर लगी रोक हटाने की मांग करते हुए न्यूज चैनल ने कहा है कि उसका मकसद जकात की इस मदद के पीछे की संभावित साजिश को बेनकाब करना है, जिसकी जांच एजेंसियों से तहकीकात कराने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सोमवार को सुनवाई होनी है।
मदीना ट्रस्ट से मदद
-2018-19 में 13.64 लाख
- 2017-18 में 12.73 लाख
-2015-16 में 11.90 लाख
मुस्लिम एड से मदद
- 2010-11 में 5.75 लाख
-2011-12 में 3.08 लाख
-2014-15 में 4.90 लाख
2009 से 2017 के बीच करोड़ों रुपये मिले
सुदर्शन टीवी ने कहा है कि जकात फाउंडेशन को ब्रिटेन के मदीना ट्रस्ट, मुस्लिम एड जैसे संगठनों से 2009 से 2017 के बीच करोड़ों रुपये की आर्थिक मिली। जाकिर नाइक से जुड़े संगठनों ने भी फाउंडेशन की मदद की। ये सभी संगठन और व्यक्ति किसी न किसी तरह से तालिबान, अल कायदा और तमाम आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं। मदीना ट्रस्ट के दो ट्रस्टी के नाम संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची में शामिल हैं।
नियमों का पालन करने की बात कही
सुदर्शन न्यूज के संपादक सुरेश चव्हाण ने कहा है कि वे यूपीएससी जेहाद विषय पर अपने कार्यक्रम 'बिंदास बोल' की शेष कडि़यों के प्रसारण में सभी नियमों का पालन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्यक्रम के प्रसारण पर 15 सितंबर को रोक लगा दी थी।
समुदाय विशेष के छात्रों को देता है मदद
सुदर्शन टीवी ने कहा, जकात फाउंडेशन एक समुदाय विशेष के छात्रों को मुफ्त कोचिंग देता है। जकात फाउंडेशन की वेबसाइट के मुताबिक साल 2009 से 2017 के बीच उसके यहां कोचिंग करने वाले 119 अभ्यर्थी आइएएस, आइपीएस और यूपीएसकी की अन्य सेवाओं के लिए चुने गए। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में यूपीएससी के लिए चुने गए 40 मुस्लिम अभ्यर्थियों में से 27 जकात फाउंडेशन के ही हैं।
एनबीए ने कहा, हमारी आचार संहिता नियमों का हिस्सा बने
न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन (एनबीए) ने सुप्रीम कोर्ट में सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार द्वारा केबल टीवी के नियमों में उसकी आचार संहिता को शामिल करना चाहिए। इस आचार संहिता का पालन करना सभी न्यूज और गैर न्यूज चैनलों के लिए बाध्यकारी बनाया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर की सुनवाई में इस पर गौर करते हुए एनबीए से सुझाव मांगे थे कि वह न्यूज चैनलों के कार्यक्रमों में लोगों की भावनाओं को आहत करने और सांप्रदायिक भाव वाले तथ्यों पर अंकुश लगाने में असमर्थ रहा है।