सक्सेस मंत्रा: संयम से मिलती है सफलता, गेमिफिकेशन है संभावनाओं से भरपूर
पुणे के सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट से एमबीए दुष्यंत सारस्वत ने पेटीएम बैंक के सीएमओ के अलावा कंपनी के अलग-अलग वर्टिकल्स में कार्य किया। वे डिजनी इंटरैक्टिव मीडिया के निदेशक भी रहे। गेमिफिकेशन का अर्थ है यूजर्स का जुड़ाव प्रोडक्ट के साथ बनाए रखने का प्रयास।
अंशु सिंह। पुणे के सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट से एमबीए दुष्यंत सारस्वत ने पेटीएम बैंक के सीएमओ के अलावा कंपनी के अलग-अलग वर्टिकल्स में कार्य किया। वे डिजनी इंटरैक्टिव मीडिया के निदेशक भी रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने डिजनी को देश के शीर्ष मोबाइल गेमिंग डेवलपर एवं पब्लिशर के रूप में स्थापित करने में कामयाबी पायी।
उन्होंने आइसीआइसीआइ बैंक कार्ड्स एवं पेमेंट बिजनेस की मार्केटिंग टीम का नेतृत्व भी किया है। दो दशक से भी ज्यादा के अपने करियर में उन्होंने ग्रोथ मार्केटिंग, कस्टमर लाइफसाइकल मैनेजमेंट एवं प्रोडक्ट डेवलपमेंट के क्षेत्र में अच्छा अनुभव हासिल किया है। इससे उन्हें ग्राहकों की नब्ज समझने में देर नहीं लगती है। गेमिंग सेक्टर के अपने अनुभवों को देखते हुए ही उन्होंने २०१९ में 'हंटर गेम्स' की शुरुआत की। यह एक बीटुबीटुसी गेमिफिकेशन कंपनी है। यह पहला गेमिफिकेशन प्लेटफार्म है, जो हाइपर कैजुअल गेमिंग कंटेंट उपलब्ध कराता है। दुष्यंत की मानें, तो गेम्स का कई तरीके से इस्तेमाल हो सकता है। इससे हम रेवेन्यू भी जेनरेट कर सकते हैं।
हंटर गेम्स के संस्थापक एवं सीईओ दुष्यंत की मानें, तो मार्केट में प्रतिस्पर्धा दिनोंदिन बढ़ रही है। ई-कामर्स, पेमेंट, मीडिया, एजुकेशन से जुड़ी कंपनियां कस्टमर्स को लुभाने एवं उनका भरोसा जीतने के लिए काफी खर्च भी कर रही हैं। अगर कस्टमर उनके प्रोडक्ट या सर्विस पर अधिक समय तक विश्वास नहीं करते, तो कंपनियां दोबारा से उतना पैसा खर्च करती हैं।
इसका मतलब है कि वे कस्टमर्स को अपने साथ ठीक से इंगेज नहीं कर पा रही हैं। वह कहते हैं, ‘मार्केट की अधिकांश कंपनियां रेवेन्यू बढ़ाने को लेकर दबाव में हैं। यह तमाम इंडस्ट्री की प्रमुख समस्या है। हमने भी अपने प्रोफेशनल करियर में इस तरह की समस्या को देखा था, तो कंपनी शुरू करते समय हमारे लिए यह सबसे बड़ी चुनौती थी। हमारे सामने कुछ यक्ष प्रश्न थे- आखिर कस्टमर्स बार-बार किसी एप का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं? हमने इसे लेकर वैश्विक स्तर पर अध्ययन किया और पाया कि कंपनियां एक समय के बाद ग्राहकों को बांध पाने में नाकाम रहती हैं।
इसका समाधान ‘हाइपर कैजुअल गेम्स’ हो सकता है, जिसमें हल्के-फुल्के अंदाज में कस्टमर्स को अपने से जोड़े रखा जा सकता है। हमने एक ऐसा ही प्लेटफार्म तैयार किया, जहां रोजाना लाखों कस्टमर्स का न सिर्फ मनोरंजन होता है, बल्कि रिवार्ड्स के रूप में वह कमाई भी कर पाते हैं। आज गूगल, फ्यूचर ग्रुप, एचडीएफसी बैंक, टीवी 9 एवं मल्टीपल टेल्कोज हमारे क्लाइंट्स हैं। दक्षिण एशिया एवं मध्य एशिया के देशों में अच्छा ट्रैक्शन मिला है। सेल्स हो रही है।
गेमिफिकेशन है संभावनाओं से भरपूर
गेमिफिकेशन का अर्थ है यूजर्स का जुड़ाव प्रोडक्ट के साथ बनाए रखने का प्रयास। इसका मुख्य उद्देश्य है कर्मचारियों, व्यावसायिक सहयोगियों एवं उपभोक्ताओं के साथ विश्वास भरा संबंध बनाना। जैसे इन दिनों कई कंपनियां अपनी वेबसाइट या आनलाइन स्टोर या एप से कस्टमर्स का बेहतर जुड़ाव बनाए रखने के लिए गेम डायनामिक्स का विकल्प चुन रही हैं। इसे गेमिफिकेशन कहा जाता है।
दुष्यंत कहते हैं कि हम जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, वह एक नया कांसेप्ट है। जब बिजनेस की शुरुआत हुई थी, तो पहले हमें अपना कांसेप्ट ही बेचना पड़ा था। वह बहुत मुश्किल एवं चुनौतीपूर्ण था। लेकिन हम लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे। आज स्थिति बदल चुकी है। हमारे क्लाइंट्स शीर्ष ई-कामर्स, पेमेंट एवं मीडिया एप्स पर गेमिफिकेशन को देख सकते हैं।
आने वाले समय में हमारी कोशिश होगी कि अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जाए। गेमिफिकेशन में रेवेन्यू कमाने की बड़ी गुंजाइश है। जहां तक असफलता से डरने का सवाल है, तो हर उद्यमी कारोबार के अपने शुरुआती दिनों में थोड़ा असहज महसूस करता है। मेरे लिए भी कठिन परीक्षा रही है। लेकिन आज कंपनी की विकास दर को देखते हुए खुश हूं कि एक भारतीय कंपनी होते हुए हमने वैश्विक स्तर का प्रोडक्ट तैयार किया है। इस कारण आगे तेजी से काम करने का थोड़ा दबाव भी है, जिसमें गलतियां कम से कम हों।
भरोसेमंद टीम का मिला साथ
किसी भी बिजनेस या वेंचर की शुरुआत और उसे आगे लेकर जाने में टीम की बड़ी भूमिका होती है। दुष्यंत के अनुसार, इस मामले में वह खुशनसीब रहे हैं। वह कहते हैं, मेरी कोर टीम में वैसे लोग शामिल हैं, जिनके पास गेमिंग, पेमेंट, ई-कामर्स, बैंकिंग, टेल्को सर्विसेज एवं एफएमसीजी जैसे तमाम सेक्टर्स में काम करने का अनुभव रहा है। उन्होंने पेटीएम, अलीबाबा, वाल्ट डिजनी, रिलायंस गेमिंग जैसी कंपनियों में कार्य करते हुए वहां के रेवेन्यू जेनरेशन एवं ग्रोथ में अहम भूमिका निभायी है।
अच्छे पैकेजेज को छोड़ मेरे साथ काम करने का निर्णय लिया है। मैं उनका तहेदिल से शुक्रगुजार हूं। हमारी टीम का आधार है क्रिएटिविटी, जिसे अमली जामा पहनाने का पूरा प्रयास किया जाता है। हमारे प्रोग्रामर्स भी कम नहीं हैं। वे हाइपर कैजुअल गेम्स बनाते हैं, जो कोई भी खेल सकता है। इन्हें खेलना बहुत आसान होता है। साथ ही, वे यूजर्स को अपने से बांधे रखते हैं। इसके पीछे प्रोग्रामर्स की कल्पनाशीलता का बड़ा हाथ होता है।
निजी पूंजी निवेश से शुरुआत
लोग नई कंपनी या बिजनेस शुरू करने के लिए बड़े वेंचर कैपिटलिस्ट्स के पास जाते हैं, लेकिन दुष्यंत ने अपनी पूंजी बिजनेस में निवेश की। इसमें उनके पूर्ववर्ती सीनियर्स एवं साथियों ने भी मदद की। वह कहते हैं, सभी ने जिस तरह से मुझमें और टीम में अपना भरोसा दिखाया, वह अविस्मरणीय है। आपकी यात्रा में जो लोग आपकी मदद करते हैं, उनसे बढ़कर कोई और नहीं हो सकता है। हमारे एंजेल इनवेस्टर्स ऐसे ही हैं। उन्होंने न सिर्फ हमें आगे बढ़ने के लिए आर्थिक सहायता दी, बल्कि हमारे साथ मिलकर कंपनी को स्थापित किया।
कारोबार को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभायी। उद्यमिता का सफर कहीं से भी सरल व आसान नहीं है। मैंने अपनी सफलता एवं असफलता से बहुत कुछ सीखा है। ये सबक ही हमें आगे बढ़ने का हौसला देते हैं। युवा उद्यमियों से कहना चाहूंगा कि निवेशकों से फंड्स लेना गलत नहीं है, लेकिन निवेशक ऐसे चुनें, जो आपके विजन को पूरा करने में मददगार हों। आपको सही टीम का चुनाव करना होगा। बिजनेस में सफलता तभी मिलेगी। एक बार आपने यह सब कर लिया, तो आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। मेरी सफलता का मंत्र यही है कि धैर्य रखो, कोशिश करते रहो।