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सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की एनपीए पर गाइडलाइंस की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह विधायिका का काम

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने याचिका पर खुद बहस कर रहे स्वामी से कहा एनपीए न बनें इसके लिए हम गाइडलाइंस कैसे बना सकते हैं? यह विधायिका का काम है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 05:55 PM (IST)
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की एनपीए पर गाइडलाइंस की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह विधायिका का काम
भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया जिसमें उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के खतरे से निपटने के लिए गाइडलाइंस बनाने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह विधायिका का कर्तव्य और नीतिगत मामला है जिस पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को फैसला लेना चाहिए। हालांकि अदालत ने स्वामी को आरबीआइ के समक्ष अपने सुझाव रखने की अनुमति प्रदान कर दी।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने याचिका पर खुद बहस कर रहे स्वामी से कहा, 'एनपीए न बनें, इसके लिए हम गाइडलाइंस कैसे बना सकते हैं? यह विधायिका का काम है।'

स्वामी ने दलील दी कि उनकी याचिका में ऐसे मामले और तरीकों की बात कही गई है जिनसे बड़ी संख्या में दोबारा एनपीए न बनें और यह सबके लिए फायदेमंद होगा। अदालत इस मामले में एक समिति गठित कर सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा, 'हम एक मामला बना सकते हैं।'

जस्टिस नाथ ने कहा कि आरबीआइ और वित्त मंत्रालय गाइडलाइंस जारी करते रहे हैं और एनपीएन न बनें, इसके लिए नीतियां बनाई गई हैं। पीठ ने कहा, 'हमारे लिए इस सब में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है।' स्वामी ने कहा कि एनपीए पर जानकारी के सिलसिले में आरबीआइ अत्याधिक गोपनीयता बरत रहा है। जब कोई बैंक बंद हो जाता है तो लोग अपना पैसा पाने के लिए इधर-उधर परेशान होते रहते हैं।


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