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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी समेत अन्य लोगों ने किया नमन

महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 125 वीं जयंती है। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 08:24 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 08:24 AM (IST)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी समेत अन्य लोगों ने किया नमन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 125 वीं जयंती।

नई दिल्ली, जेएनएन। महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 125 वीं जयंती है। केंद्र सरकार ने उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करके कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वें जयंती वर्ष के समारोहों के शुभारंभ के अवसर पर उनको सादर नमन। उनके अदम्य साहस और वीरता के सम्मान में पूरा राष्ट्र उनकी जयंती को 'पराक्रम दिवस' ​​के रूप में मना रहा है। नेताजी ने अपने अनगिनत अनुयायियों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार किया।

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राष्ट्रपति कोविंद ने यह भी कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण योगदान देने वाले नेताजी हमारे सबसे प्रिय राष्ट्र नायकों में से एक हैं। उनकी देशभक्ति और बलिदान से हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने आजादी की भावना पर बहुत बल दिया और उसे मजबूत बनाने के लिए हम पूर्णतया प्रतिबद्ध हैं।

त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा देश- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। कृतज्ञ राष्ट्र देश की आजादी के लिए उनके त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा।

नि:स्वार्थ त्याग और पराक्रम को नमन- वेंकैया नायडू 

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने ट्वीट करके कहा कि अपनी आजादी की कीमत अपने खून से चुकाना हमारा फर्ज है। जो आजादी हम अपने त्याग और बलिदान से हासिल करेंगे उसे हम अपनी ताकत के बल पर सुरक्षित रख सकेंगे- नेताजी सुभाष चंद्र बोस। आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती पर राष्ट्र के लिए उनके नि:स्वार्थ त्याग और पराक्रम को नमन।

राष्ट्र नेताजी के पराक्रम और अविरल संघर्ष के लिए सदैव ऋणी रहेगा- अमित शाह 

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस और पराक्रम ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई शक्ति प्रदान की। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अपने करिश्माई नेतृत्व से देश की युवाशक्ति को संगठित किया। स्वतंत्रता आन्दोलन के ऐसे महानायक की 125वीं जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। संपूर्ण राष्ट्र नेताजी के पराक्रम और अविरल संघर्ष के लिए सदैव ऋणी रहेगा। उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें एक अभूतपूर्व श्रद्धांजलि दी है। समस्त देशवासियों को पराक्रम दिवस की शुभकामनाएं देता हूं।

नेताजी को शत् शत् नमन- नड्डा 

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आजाद हिंद फौज के संस्थापक एवं महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन व सभी देशवासियों को पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने और भारत की स्वतंत्रता हेतु आपके त्याग, बलिदान और समर्पण का राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।

नेताजी के महान विचार आज भी हम सबको प्रेरणा देते हैं- केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन। देश के प्रति नेताजी के महान विचार आज भी हम सबको प्रेरणा देते हैं।

प्रकाश जावड़ेकर ने किया नमन

केंद्रीय मंत्री ने प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट करके कहा कि‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा..! जय हिंद’, यह आवाहन बुलंद करने वाले,  'जय हिन्द' को भारत का राष्ट्रीय नारा बना देने वाले महान पराक्रमी, क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125 वीं जयंती पर शत्-शत् नमन एवं सभी देशवासियों को पराक्रमदिवस की शुभकामनाएं।

नेताजी के ‘पराक्रम’ ने हिला दी थी अंग्रेज हुकूमत की चूलें

आज ही के दिन 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक (ओडिशा) में हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा कलकत्ता के प्रेसिडेंसी और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से प्राप्त की। 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया। पहले 1938 में और फिर 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। 1942 में जर्मनी में भारतीय सिपाहियों ने उन्हें नेताजी के नाम से संबोधित किया। इसके बाद भारत में भी नेताजी के नाम से मशहूर हुए। 1943 में आजाद हिंद फौज के कमांडर की हैसियत से अस्थायी सरकार बनाई। 


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