अब निशाने से नहीं भटकेगी यह मिसाइल, दुश्मन पर 'निर्भय' करेगी अचूक मार, परीक्षण सफल
Sub Sonic Cruise Missile Nirbhay का भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलता पूर्वक परीक्षण कर लिया है। यह परीक्षण ओडिशा में किया गया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। स्वदेशी तकनीक से बनाई गई सब-सोनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का सफल परीक्षण किया गया है। इस मिसाइल से भारत को रक्षा क्षेत्र में और मजबूती मिली है। यह मिसाइल बिना भटके अपने निशाने पर अचूक मार करने में सक्षम है। ओडिशा के परीक्षण रेंज से डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को यह सफलता हुई है।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवल्पमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने सोमवार की सुबह ओडिशा के समुद्री तट पर स्थित परीक्षण रेंज से सब-सोनिक क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का परीक्षण किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 1000 किलोमीटर तक यह मिसाइल मार करने में पूरी तरह सक्षम है। इस मिसाइल से भारत की सैन्य ताकत को मजबूती मिलेगी। पाकिस्तान, चीन समेत कई देश इस मिसाइल की पहुंच में है। यह मिसाइल कुछ सेकेंड में ही दुश्मन देशों के किसी भी इलाके को नेस्तानाबूद करने में सक्षम है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के मुताबिक ओडिशा के समुद्री तट पर बने केंद्र से सुबह किए गए परीक्षण को कामयाबी हासिल हुई है। इस मिसाइल को भारतीय तकनीक से बनाया गया है। इसके साथ ही डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने मिसाइल की डिजाईन भी यहीं तैयार की है। परीक्षण की कामयाबी के साथ भारत की सैन्य क्षमता को और विस्तार मिला है। जानकारी के मुताबिक, यह मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम तक की आयुध सामग्री आसानी से ले जा सकती है।
Today India's 1,000 km strike range sub-sonic cruise missile 'Nirbhay' was successfully test fired off the coast of Odisha. pic.twitter.com/wDT3YTwNpB
— ANI (@ANI) April 15, 2019
बता दें कि इससे पहले भी डीआरडीओ के वैज्ञानिक इस मिसाइल का कई बार परीक्षण कर चुके हैं। निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च 2013 को किया गया था और उस समय मिसाइल में खराबी आने के कारण उसने बीच रास्ते में ही काम करना बंद कर दिया था। दूसरा परीक्षण 17 अक्तूबर 2014 को किया गया जो सफल रहा था। 16 अक्तूबर 2015 को किए गए अगले परीक्षण में मिसाइल 128 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अपने रास्ते से भटक गई थी।
इसके बाद 21 दिसंबर 2016 को परीक्षण किया गया उस समय भी यह निर्धारित रास्ते से भटक गई थी। इसके अलावा नवंबर 2017 में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था। वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण को सफल बताया था। यह सभी परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में डीआरडीओ के परीक्षण रेंज से किए गए थे।
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