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विकास दुबे कांड : मुखबिरी के आरोपी गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, सुरक्षा देने की लगाई गुहार

Vikas Dubey Case आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में मुखबिरी के आरोप में गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 05:26 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 04:02 AM (IST)
विकास दुबे कांड : मुखबिरी के आरोपी गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, सुरक्षा देने की लगाई गुहार
विकास दुबे कांड : मुखबिरी के आरोपी गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, सुरक्षा देने की लगाई गुहार

माला दीक्षित, नई दिल्‍ली। आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में मुखबिरी के आरोप में गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार शर्मा (केके शर्मा) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जेल में बंद शर्मा ने याचिका दाखिल कर जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा देने और तीन जुलाई के मुठभेड़ कांड की जांच एसआइटी या सीबीआइ को सौंपे जाने की मांग की है। केके शर्मा इस समय कानपुर देहात की माती जेल में बंद है। उसने कोर्ट से प्रार्थना की है कि निर्देश दिया जाए कि पुलिस को उससे जो भी पूछताछ करनी है वो माटी जेल में ही की जाए। उसने याचिका पत्नी के जरिए दाखिल की है।

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कानपुर नगर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की रात दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला कर दिया था और उस मुठभेड़ में आठ पुलिसकíमयों की जान गई थी। इस मुठभेड़ कांड में पुलिस के पहुंचने की सूचना की मुखबिरी के आरोप में पुलिस ने सब इंस्पेक्टर केके शर्मा को गिरफ्तार करके जेल भेजा है। कानपुर देहात की माती जेल में बंद शर्मा ने याचिका में घटना के बाद बदमाशों को पकड़ने के लिए गठित यूपी पुलिस की एसआइटी व अन्य टीमों द्वारा एक-एक कर विकास के पांच साथी और फिर विकास को पकड़ने के बाद भागने की बात कहते हुए मुठभेड़ में मार दिए जाने की घटनाओं पर भी सवाल उठाया है। 

याचिका में कहा गया है कि मुठभेड़ की इन घटनाओं को देखने से लगता है कि कानून की रक्षक यूपी पुलिस का कानून में विश्वास नहीं है। ऐसे में उसे अपनी जान को भी खतरा नजर आ रहा है। कोर्ट उसके संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण करे और उसे सुरक्षा दे। कोर्ट आदेश दे कि उससे जो भी पूछताछ की जानी है, वह माती जेल में ही की जाए जहां वह इस समय बंद है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि विकास और उसके पांच साथियों को पकड़ने और फिर मुठभेड़ में मारे जाने के यूपी पुलिस के रवैये को देखते हुए उसे तीन जुलाई की मुठभेड़ की घटना के निष्पक्ष जांच होने में आशंका है। यह भी कहा गया है कि उस मुठभेड़ में यूपी पुलिस के ही आठ अधिकारी मारे गए हैं इसलिए उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआइटी को या सीबीआइ को सौंपी जाए। याचिका में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, एसएसपी कानपुर और सीबीआइ को प्रतिपक्षी बनाया गया है।

विकास दुबे की मौत से पहले ही उसके एनकाउंटर की आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई थी। याचिका में उसके पांच सहयोगियों की यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत की जांच के आदेश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने भी मामले की सीबीआइ से जांच कराए जानें की मांग की थी। 

वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने मामले में तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को उक्‍त याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि आरोपी को अपराध सिद्ध होने के बाद दंडित करना, सक्षम न्यायालय का काम है। पुलिस के पास अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर आरोपी को मारकर उसे दंडित करने का कोई भी अधिकार नहीं है। यही नहीं याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से विकास दुबे के घर, शॉपिंग मॉल एवं गाडियां तोड़ने के मामले में भी एफआइआर दर्ज किए जाने का निर्देश देने की गुजारिश की थी। 

मुठभेड़ के दौरान मु‍खबिरी के जरिए पुलिस टीम की जान जोखिम में डालने के आरोप में थाना प्रभारी विनय तिवारी और हिस्ट्रीशीटर के लिए कथ‍ित मुखबिरी करने में हलका प्रभारी केके शर्मा को निलंबित किया जा चुका है। विकास से संबंधों के शक में चौबेपुर के पूरे थाने पर कार्रवाई हुई है। कुल 68 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो कई और पुलिसकर्मी रडार पर हैं। बताया जाता है कि बिल्हौर सर्किल के चौबेपुर, शिवराजपुर, बिल्हौर, ककवन थाने और कानपुर देहात के शिवली थाने के करीब 200 पुलिसकर्मियों के मोबाइल नंबर अभी भी सर्विलांस पर रखे गए हैं। 


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