समलैंगिकों की इच्छा, अपना भी हो बच्चा; गोद लेने का मिले अधिकार या मिले किराए की कोख
एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा ने समलैंगिकों पर एक अध्ययन किया है। अध्ययन में पाया गया है कि समलैंगिक दंपती बच्चा गोद लेने या सरोगेसी के जरिये बच्चे की इच्छा रखते हैं।
अजय दुबे, आगरा। भारत ही नहीं दुनियाभर में समलैंगिकों ने अधिकारों को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी और यह अब भी जारी है। भारत में समलैंगिक विवाह को मान्यता हासिल हो चुकी है। समाज भी कहीं अधिक संवेदनशील और जागरूक हुआ है। लेकिन विवाह बंधन में बंधे समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की इजाजत नहीं है। भारत सहित दुनिया के अनेक देशों में इसे लेकर यही स्थिति है। गिनती के कुछ देशों में छूट है, कुछ में शर्तो सहित, लेकिन अधिकांश में नहीं है। सरोगेसी (किराए की कोख) को लेकर भी कानूनी बाधाएं हैं।
अध्ययन में भी सामने आई समलैंगिकों की चाहत
समलैंगिक दंपती की यह चाहत कि उनका भी अपना एक बच्चा हो, अब खुलकर सामने है, लेकिन इसे लेकर उन्हें लड़ाई लड़ना पड़ रही है। एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा के सोशल प्रिवेंटिव मेडिसिन विभाग (एसपीएम) द्वारा की गई स्टडी के दौरान यह सामने आया कि भारत में भी समलैंगिक दंपती अब बच्चा गोद लेने या सरोगेसी के जरिये बच्चे की इच्छा रखते हैं। एसएन के एसपीएम विभाग द्वारा समलैंगिक (एमएसएम) के स्वास्थ्य और जिंदगी के प्रति उनकी सोच को लेकर दो वर्ष तक स्टडी की। इसी वर्ष जून में पूरे हुई इस अध्ययन के दौरान समलैंगिकों ने तमाम पहलू साझा किए।
समुदाय की सोच में आया बड़ा बदलाव
स्टडी से जुड़े डॉक्टर खान इकबाल अकील ने बताया कि 2018 में समलैंगिक विवाह को मान्यता मिलने के बाद से इस समुदाय की सोच में बड़ा बदलाव हुआ है। समलैंगिक चाहते हैं कि उनके प्रति समाज का नजरिया बदले। इसके लिए जरूरी है कि समलैंगिकों को परिवार के साथ जीने का अधिकार मिले। ये तभी संभव है कि वे बच्चा गोद ले सकें या किराए की कोख से अपने बच्चे को जन्म दे सकें। 10 से 12 जुलाई तक कुआलालंपुर, मलेशिया में पांचवीं इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन पब्लिक हेल्थ 2019 का आयोजन हो रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
'समलैंगिक किराए की कोख के लिए संपर्क कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनका भी बच्चा हो। मगर उनके लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।'
- डॉ. जयदीप मल्होत्र अध्यक्ष, इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (आइसीएआर)
'समलैंगिक चाहते हैं कि समाज में उनके प्रति सोच बदले। इसके लिए उन्हें भी बच्चे साथ रखने का अधिकार मिले।'
- डॉ. शैलेंद्र चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर एसपीएम डिपार्टमेंट एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा
समलैंगिकों को ऐसी छूट देने का विरोध
एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा के एसपीएम विभागाध्यक्ष डॉ. एसके मिश्र के निर्देशन में डॉ. शैलेंद्र चौधरी के नेतृत्व की गई इस स्टडी को प्रस्तुत किया जाएगा। किराए की कोख (सरोगेसी) के लिए जो कानून है, उसके तहत समलैंगिक और सिंगल मेल पैरेंट्स सरोगेसी नहीं करा सकते हैं। सिर्फ सिंगल फीमेल पैरेंट्स ही सरोगेसी करा सकते हैं। समलैंगिक तो बच्चे भी गोद नहीं ले सकते हैं। इधर, मई में हुए वैश्विक सर्वे में अनेक देशों ने समलैंगिकों को ऐसी छूट देने के विरोध में वोट दिया।