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पब्जी गेम के चक्कर में छह दिन नहीं सोया, बिगड़ी मानसिक दशा, डॉक्‍टर बोले उपचार 'मुश्किल'

Student did not sleep for six days due to PUBG नरसिंहपुर के गाडरवारा में PUBG game के चलते लगातार छह दिन नहीं सोने से एक छात्र की मानसिक दशा बिगड़ चुकी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 08:22 PM (IST)
पब्जी गेम के चक्कर में छह दिन नहीं सोया, बिगड़ी मानसिक दशा, डॉक्‍टर बोले उपचार 'मुश्किल'
पब्जी गेम के चक्कर में छह दिन नहीं सोया, बिगड़ी मानसिक दशा, डॉक्‍टर बोले उपचार 'मुश्किल'

जबलपुर, जेएनएन। Student did not sleep for six days due to PUBG 'मैं हाइड्रा डायनेमो हूं, कितने चाहिए... 40 करोड़, मेरा मोबाइल दो एक मिनट में पैसे आ जाएंगे...।' जबलपुर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के प्रवेश द्वार पर एक युवक द्वारा की जा रही इस तरह की बातें और उसकी हरकत देखकर राह चलते लोग ठहर गए। युवक बार-बार भागने की कोशिश कर रहा था और माता-पिता उसे पकड़ने की कोशिशें...। परिजनों ने माना कि पब्जी गेम खेलने के चक्कर में उनके बेटे की यह दशा बिगड़ी है।

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नरसिंहपुर के गाडरवारा निवासी माता-पिता ने कहा कि बड़े अरमानों से उन्होंने अपने बेटे को जबलपुर पढ़ने के लिए भेजा था, लेकिन पब्जी गेम के चक्कर में उसने अपना मानसिक संतुलन बिगाड़ लिया है। नम आंखों से माता-पिता ने कहा कि मोबाइल पर गेम खेलने के चक्कर में उनका बेटा पांच से छह दिनों तक सोया नहीं है। बताया जाता है कि मंगलवार को जूते-चप्पल पहने बगैर छात्र कॉलेज पहुंच गया और वहां भी पागलों जैसी हरकतें करने लगा।

बाद में कॉलेज पहुंचे छात्र के माता-पिता ने सबसे पहले उसका मोबाइल छीना और पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर पहुंचे। यहां भी वह बवाल करने लगा और दौड़ लगाकर परिसर से बाहर निकल गया। वह बार-बार अपना मोबाइल मांग कर रहा था। माता-पिता ने बमुश्किल उसे नियंत्रित किया और अस्पताल ले गए। डॉक्‍टर ने बताया कि कई दिनों तक नींद नहीं आने की वजह से छात्र की मनोदशा बिगड़ गई है। छात्र को अस्पताल में भर्ती कर उसका उपचार किया जा रहा है।

नशे की लत से ज्‍यादा मुश्किल है मोबाइल एडिक्‍शन का उपचार

विक्टोरिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषषज्ञ डॉ. रत्नेश कुररिया ने कहा कि ड्रग एडिक्ट मरीज से ज्यादा कठिन उपचार मोबाइल एडिक्ट का होता है। पब्जी गेम के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गेम एडिक्ट मरीज का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह विक्षिप्तता की चपेट में आ सकता है। उत्तेजना, असामान्य व्यवहार, किसी की न सुनना गेम एडिक्ट मरीज के मुख्य लक्षण होते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को तब तक मोबाइल फोन न दें जब तक उसकी बहुत जरूरत न हो।  


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